विश्व आर्द्रभूमि दिवस के अवसर पर 2 फरवरी को हरियाणा के गुरुग्राम के अरावली जैव विविधता पार्क को भारत का पहला “अन्य प्रभावी क्षेत्र-आधारित संरक्षण उपाय” (OECM: other effective area-based conservation measures) स्थल घोषित किया गया।
- अरावली जैव विविधता पार्क को OECM स्थल घोषित करने का प्रस्ताव राष्ट्रीय जैव विविधता प्राधिकरण द्वारा दिसंबर 2020 में आईयूसीएन को भेजा गया था।
OECE स्थल क्या है?
- OECM टैग इंटरनेशनल यूनियन फॉर कंजर्वेशन ऑफ नेचर (IUCN) द्वारा उन क्षेत्रों को दिया जाता है जो नेशनल पार्क की तरह संरक्षित नहीं हैं लेकिन यहाँ समृद्ध जैव विविधता मौजूद हैं।
- OECM टैग कोई कानूनी, वित्तीय या प्रबंधन संबंधी निहितार्थ दर्जा नहीं देता है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय मानचित्र पर उस क्षेत्र को जैव विविधता हॉटस्पॉट के रूप में नामित करता है।
- इसका उद्देश्य प्रत्येक राज्य में जैव विविधता के संरक्षण के प्रयासों को मान्यता देना है।
- उल्लेखनीय है कि एक अभयारण्य या वन्यजीव अभ्यारण्य के विपरीत, जहां बड़ा क्षेत्र बेहतर माना जाता है, वहीं छोटे क्षेत्र जहां देशी वनस्पतियों और जीवों को संरक्षित करने के प्रयास किए गए हैं, उन्हें OECM स्थलों के रूप में पहचाना जा सकता है।
अरावली जैव विविधता पार्क के बारे में
- अरावली जैव विविधता पार्क (एबीपी) 390 एकड़ में फैला हुआ है और इसमें लगभग 300 देशी पौधे, 101,000 पेड़, 43,000 झाड़ियाँ और पक्षियों की कई प्रजातियों के साथ अर्ध-शुष्क वनस्पति मौजूद हैं।
- गुरुग्राम के शहरी स्थानीय निकाय की मदद से नागरिकों, पारिस्थितिकीविदों और वैज्ञानिकों के प्रयासों से पार्क को 40 साल पुराने खनन स्थल से शहरी वैनमें बदल दिया गया है।
- दुनिया की सबसे पुरानी पर्वत श्रृंखलाओं में से एक अरावली को दिल्ली-एनसीआर का ‘हरा फेफड़ा’ (ग्रीन लंग) माना जाता है।