इस आकलन वर्ष से करदाताओं को एक नया एवं बेहतर फॉर्म 26एएस (Form 26AS) प्राप्त होगा जिसमें करदाताओं के वित्तीय लेन-देन के बारे में कुछ अतिरिक्त विवरण होंगे, जैसा कि विभिन्न श्रेणियों में वित्तीय लेन-देन विवरण (specified financial statements: SFT) में निर्दिष्ट किया गया है।
नये फार्म को ‘वार्षिक सूचना विवरणी’ (Annual Information Statement: AIS) भी नाम दिया गया है।
पिछले फॉर्म 26एएस में किसी पैन (स्थायी खाता संख्या) से संबंधित स्रोत पर कर कटौती और स्रोत पर कर संग्रह के बारे में जानकारियां होती थीं। इसके अलावा, इसमें कुछ अतिरिक्त जानकारियां भी होती थीं जिनमें भुगतान किए गए अन्य करों, रिफंड और टीडीएस डिफॉल्ट का विवरण भी शामिल था। लेकिन अब से करदाताओं को अपने सभी प्रमुख वित्तीय लेन-देन को याद करने में मदद के लिए इसमें एसएफटी होगा, ताकि आईटीआर दाखिल करते समय सुविधा के लिए उनके पास तैयार संगणक उपलब्ध हो।
उच्च मूल्य वाले वित्तीय लेन-देन करने वाले व्यक्तियों के मामले में आयकर विभाग को वित्त वर्ष 2016 से ही आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 285बीए के तहत ‘निर्दिष्ट व्यक्तियों’ जैसे कि बैंकों, म्यूचुअल फंडों, बॉन्ड जारी करने वाले संस्थानों और रजिस्ट्रार या सब-रजिस्ट्रार इत्यादि से उन व्यक्तियों द्वारा की गई नकद जमा/बचत बैंक खातों से निकासी, अचल संपत्ति की बिक्री/खरीद, सावधि जमा, क्रेडिट कार्ड से भुगतान, शेयरों, डिबेंचरों, विदेशी मुद्रा, म्यूचुअल फंड की खरीद, शेयरों के बायबैक, वस्तुओं एवं सेवाओं के लिए नकद भुगतान, आदि के बारे में जानकारियां प्राप्त होती थीं। अब से विभिन्न एसएफटी के तहत इस तरह की सभी जानकारियां नए फॉर्म 26एएस में दर्शाई जाएंगी।
अब से किसी भी करदाता के लिए फॉर्म 26एएस के भाग ई में विभिन्न विवरण, जैसे कि किस तरह का लेन-देन, एसएफटी दर्ज करने वाले (फाइलर) का नाम, लेन-देन की तारीख, एकल/संयुक्त पक्ष द्वारा लेन-देन, लेन-देन करने वाले पक्षों की संख्या, धनराशि, भुगतान का तरीका और टिप्पणी, इत्यादि को दर्शाया जाएगा।
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