जूलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया के वैज्ञानिकों द्वारा पश्चिमी हिमालय में किए गए एक हालिया अध्ययन में हिमालयी भूरा भालू (Himalayan brown bear: Ursus arctos isabellinus) के पर्यावास में वर्ष 2050 तक लगभग 73% की भारी गिरावट की आशंका जाहिर की गयी है।
- पर्यावास नुकसान का खामियाजा 13 संरक्षित क्षेत्रों को भी भुगतान पड़ेगा और उनमें से आठ संरक्षित क्षेत्र वर्ष 2050 तक पूरी तरह से निवास योग्य नहीं रहेगा ।
- इसके बाद संरक्षित क्षेत्रों के अधिकांश हिस्सों में कनेक्टिविटी का नुकसान होगा।
- सिमुलेशन परिदृश्य के संरक्षित क्षेत्रों के भीतर प्रजातियों के शेष बस्तियों में एक महत्वपूर्ण गुणात्मक गिरावट का सुझाव देता है।
- प्रजातियों की दीर्घकालिक व्यवहार्यता के लिए हिमालयी क्षेत्र में संरक्षित क्षेत्रों की “निवारक स्थानिक योजना” को अपनाने की आवश्यकता है।
- हिमालय भूरा भालू (पश्चिमी) हिमालय के ऊंचे इलाकों में सबसे बड़े मांसाहारी जानवरों में से एक है।
- अध्ययन में यह भी कहा गया है की जलवायु परिवर्तन और कम बर्फबारी के बीच भोजन की कम उपलब्धता से हिमालयी क्षेत्र के भालुओं की नींद कम हो गयी है।
- हिमालयी क्षेत्र में पाए जाने वाले भालू दिसंबर मध्य से आधे मार्च तक शीत निद्रा में रहते हैं। मगर भालू अब दो महीने यानी जनवरी और फरवरी भी पूरी तरह शीत निद्रा में नहीं रह रहे हैं।
- वैज्ञानिकों के मुताबिक उच्च हिमालयी क्षेत्रों में सर्दियों में भालू के हमले बढ़े हैं। इनमें बद्रीनाथ, उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग आदि हैं। इनका व्यवहार भी आक्रामक दिखा है।
हिमालयी ब्राउन भालू
- हिमालयी ब्राउन भालू दो केंद्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख तथा दो भारतीय हिमालयी राज्यों हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के अल्पाइन, स्क्रब और उप-अल्पाइन जंगलों में प्राप्त होता है।
- यह उच्च ऊंचाई वाले हिमालयी क्षेत्र का एक शीर्ष मांसाहारी है।
- इनका जीवन काल जंगलों में 20 से 30 वर्ष है।
- इसे भारतीय वन्यजीव (सुरक्षा) अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत सूचीबद्ध किया गया है।
- भारत में और साथ ही एशियाई दुर्गम क्षेत्रों में इसके दुर्गम और उच्च ऊंचाई वाले पर्यावास के कारण बहुत कम अध्ययन किया गया है।
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