आर्थिक समीक्षा 2017-18 की प्रमुख विशेषताएं

केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के मंत्री श्री अरुण जेटली ने 29 जनवरी, 2018 को संसद के पटल पर ‘गुलाबी रंग’ का आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 प्रस्तुत किया। लैंगिक मुद्दों पर ध्यान आकर्षित करने के लिए आर्थिक समीक्षा को गुलाबी रंग दिया गया। वर्ष 2017-18 की आर्थिक समीक्षा की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:

जीडीपी वृद्धि दर

  • पिछले वर्ष के दौरान किए गए अनेक प्रमुख सुधारों से वित्त वर्ष 2017-18 में जीडीपी बढ़कर 6.75 प्रतिशत और 2018-19 में 7.0 से 7.5 प्रतिशत होगी, जिसके कारण भारत विश्व की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में पुनःस्थापित होगी।
  • स्थाई प्राथमिक मूल्यों पर ग्रॉस वैल्यू एडेड (जीवीए) में 2016-17 में 6.6 प्रतिशत की तुलना में 2017-18 में 6.1 प्रतिशत की दर से वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • सर्वेक्षण के अनुसार 2014-15 से 2017-18 की अवधि के लिए जीडीपी विकास दर औसतन 7-3 प्रतिशत रही है, जो कि विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में सर्वाधिक है। इस विकास दर को कम महंगाई दर, बेहतर करंट अकाउंट बैलेंस तथा जीडीपी अनुपात की तुलना में वित्तीय घाटे में उल्लेऽनीय गिरावट के चलते हासिल किया गया है जो कि एक उल्लेखनीय वृद्धि है।
  • इसी प्रकार से, 2017-18 में कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रें में क्रमशः 2.1 प्रतिशत, 4.4 प्रतिशत और 8.3 प्रतिशत दर की वृद्धि होने की उम्मीद है।
  • दो वर्षों तक नकारात्मक स्तर पर रहने के बावजूद, 2016-17 के दौरान निर्यातों में वृद्धि सकारात्मक स्तर पर आ गई थी और 2017-18 में इसमें तेजी से वृद्धि की उम्मीद जताई गई थी।
  • आयातों में कुछ प्रत्याशित वृद्धि के बावजूद, वस्तु और सेवाओं के शुद्ध निर्यातों में 2017-18 में गिरावट आने की संभावना है

मुद्रास्फीति

  • 2017-18 के दौरान देश में मुद्रास्फीति की दर मध्यम रही। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 3.3 फीसदी रही, जो कि पिछले छह वर्षों में सबसे कम है।
  • उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के जरिये मापी जाने वाली प्रमुख मुद्रास्फीति दर पिछले चार सालों में नियंत्रित ही रही है।
  • हाल के महीनों में खाद्य पदार्थों के मूल्यों में चढ़ाव देखा गया उसकी वजह सब्जी और फलों के दामों में वृद्धि रही है। 2016-17 में ग्रामीण इलाकों में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक के मुख्य घटक खाद्य पदार्थ रहे हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में हाउसिंग सेक्टर ने मुद्रास्फीति में मुख्य भूमिका अदा की है।
  • औद्योगिक उत्‍पादन सूचकांक (आईआईपी), जो कि 2011-12 के आधार वर्ष के साथ एक वॉल्‍यूम सूचकांक है, में 2017-18 में अप्रैल-नवंबर के दौरान औद्योगिक उत्‍पादन में 3.2 प्रतिशत की वृद्धि प्रदर्शित की गई है। आईआईपी ने 10.2 प्रतिशत की विनिर्माण वृद्धि के साथ 8.4 प्रतिशत की 25 महीने की उच्‍च वृद्धि दर दर्ज की।
  • कुल विदेशी प्रत्‍यक्ष निवेश आवक में 8 प्रतिशत की वृद्धि हुई अर्थात यह पिछले वर्ष के 55.56 बिलियन डॉलर की तुलना में 2016-17 के दौरान 60.08 बिलियन डॉलर हो गया। 2017-18 (अप्रैल-सितंबर) में कुल एफडीआई की आवक 33.75 बिलियन डॉलर की रही।

अवसंरचना

  • सितम्बर, 2017 में राष्ट्रीय राजमार्गों/एक्सप्रेसवे की कुल लम्बाई 1,15,530 किलोमीटर थी, जो सड़कों की कुल लम्बाई का 2.06 प्रतिशत है। दूसरी तरफ राज्य उच्च पथों की कुल लम्बाई 2015-16 में 1,76,166 किलोमीटर थी। सरकार को विभिन्न राज्य सरकारों से 64,000 किलोमीटर के उच्च पथों को राष्ट्रीय राजमार्गों में परिवर्तित करने का प्रस्ताव प्राप्त हुआ। सड़क और परिवहन मंत्रालय ने 10,000 किलोमीटर की सड़कों को नए राष्ट्रीय राजमार्ग में परिवर्तित करने की घोषणा की है।
  • 2017-18 (सितम्बर 2017 तक) के दौरान भारतीय रेल ने 558.10 मिलियन टन माल ढुलाई की, जबकि पिछले वर्ष की समान अवधि में यह 531.23 मिलियन टन थी, जो 5.06 प्रतिशत की वृद्धि दिखाता है।
  • दूर संचार क्षेत्र में भारत नेट और डिजिटल इंडिया जैसे कार्यक्रम भारत को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था में परिवर्तित कर देंगे। सितम्बर, 2017 के अंत तक कुल मोबाइल कनेक्शन की संख्या 1207.04 मिलियन थी। इनमें से 501.99 मिलियन ग्रामीण क्षेत्रों में तथा 705.05 मिलियन शहरी क्षेत्रों में थे।
  • भारत की ऊर्जा क्षमता 3,30,860.6 मेगावाट हो गई है। (नवम्बर, 2017) 15,183 गांवों के विद्युतीकरण का काम पूरा हो गया है। सितम्बर, 2017 में एक नई योजना सौभाग्य (प्रधानमंत्री सहज बिजली हर घर योजना) का शुभारम्भ किया गया। इस योजना के लिए 16,320 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है।
  • सर्वेक्षण के अनुसार 160 बिलियन ड़ॉलर का लॉजिस्टिक उद्योग 7.8 प्रतिशत की वार्षिक दर से बढ़ोत्तरी कर रहा है। यह क्षेत्र 22 मिलियन से ज्यादा लोगों को रोजगार उपलब्ध कराता है। सम्पूर्ण लॉजिस्टिक प्रदर्शन के आधार पर भारत जो 2014 में 54वें पायदान पर था, वह 2016 में 35वें पायदान पर आ गया है (विश्व बैंक 2016 लॉजिस्टिक प्रदर्शन सूचकांक)।


  • व्‍यवसाय करने की सरलता पर, आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 में रेखांकित किया गया है कि विश्‍व बैंक की व्‍यवसाय करने की सरलता रिपोर्ट 2018 में भारत ने पहले की अपनी 130वीं रैकिंग के मुकाबले 30 स्‍थानों की ऊंची छलांग लगाई है। क्रेडिट रेटिंग कंपनी मूडीज इंवेस्‍टर्स सर्विस ने भी भारत की रैकिंग को बीएए3 के न्‍यूनतम निवेश ग्रेड से बढ़ाकर बीएए2 कर दिया है। यह सरकार द्वारा यह वस्‍तु एवं सेवा कर, दिवाला एवं दिवालियापन संहिता एवं बैंक पुन: पूंजीकरण के क्रियान्‍वयन समेत सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्‍न कदमों से संभव हो पाया है। औद्योगिक वृद्धि को बढ़ाने के कई कदमों में मेक इन इंडिया कार्यक्रम, स्‍टार्टअप इंडिया एवं बौद्धिक संपदा नीति शामिल है।

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

  • वर्ष 2013 में वैज्ञानिक प्रकाशन के मामले में भारत विश्व में छठे स्थान पर था। इस रैंकिंग में लगातार सुधार हो रहा है। 2009-14 के बीच वार्षिक प्रकाशन की वृद्धि दर लगभग 14 प्रतिशत रही थी। एससीओपीयूएस डाटाबेस के अनुसार, इससे 2009 से 2014 के बीच वैश्विक प्रकाशनों में भारत की हिस्सेदारी 3.1 प्रतिशत से बढ़कर 4.4 प्रतिशत हो गई।
  • डब्ल्यूआईपीओ के मुताबिक, भारत विश्व में 7वां बड़ा पेटेंट फाइलिंग ऑफिस है। 2015 में चीन (1,101,864), यूएसए (589,410), जापान (318,721), कोरिया गणराज्य (213,694) और जर्मनी (91,726) की तुलना में भारत में 45,658 पेटेंट पंजीकृत हुए। हालांकि भारत प्रति व्यक्ति पेटेंट के मामले में काफी पीछे हैं।

भारत का बाह्य क्षेत्रः

  • वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में भारत का चालू खाता घाटा 15 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 2.5 प्रतिशत) रहा था, जो दूसरी तिमाही में तेजी से घटकर 7.2 अरब अमेरिकी डॉलर (जीडीपी का 1.2 प्रतिशत) रह गया।
  • भारत का व्यापार घाटा (सीमा शुल्क के आधार पर) वित्त वर्ष 2014-15 से लगातार गिरता जा रहा था, लेकिन वित्त वर्ष 2016-17 की पहली छमाही के 43.4 अरब अमेरिकी डॉलर की तुलना में वित्त वर्ष 2017-18 की पहली छमाही में व्यापार घाटा बढ़कर 74.5 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया।

सेवा क्षेत्र

  • भारत के सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) में 55.2 प्रतिशत की हिस्सेदारी के साथ सेवा क्षेत्र भारत के आर्थिक विकास का मुख्य घटक बना रहा। 2017-18 के सकल मूल्य वर्धन में सेवा क्षेत्र का 72.5 प्रतिशत हिस्सेदारी रही। जबकि सेवा क्षेत्र के 8.3 फीसदी की दर से वृद्धि करने की संभावना है। 2017-18 में सेवा क्षेत्र में निर्यात के 16.2 प्रतिशत रहा।
  • वर्ष 2016-17 के दौरान सर्विस सेक्‍टर (निर्माण क्षेत्र सहित शीर्ष 10 सेक्‍टर) में एफडीआई इक्विटी प्रवाह 0.9 प्रतिशत घटकर 26.4 अरब अमेरिकी डॉलर के स्‍तर पर आ गया। हालांकि, समग्र रूप से एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। 2017-18 (अप्रैल-अक्‍टूबर) के दौरान कुल एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 0.8 प्रतिशत की वृद्धि की तुलना में इन सेवा क्षेत्रों में एफडीआई इक्विटी प्रवाह में 15.0 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। यह मुख्‍यत: दो सेक्‍टरों यथा दूरसंचार और कम्‍प्‍यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर में अपेक्षाकृत अधिक प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) होने से ही संभव हो पाया है।
  • भारत 3.4 प्रतिशत की हिस्‍सेदारी के साथ वर्ष 2016 के दौरान विश्‍व में वाणिज्यिक सेवाओं के आठवें सबसे बड़े निर्यातक के रूप में अपना रूतबा बनाए रखने में कामयाब रहा। यह विश्‍व में भारत के वाणिज्यिक निर्यात की 1.7 प्रतिशत हिस्‍सेदारी की तुलना में दोगुनी है। भारत के सेवा क्षेत्र ने वर्ष 2016-17 में 5.7 प्रतिशत की निर्यात वृद्धि दर दर्ज की थी। वर्ष 2017-18 की अप्रैल-सितंबर अवधि के दौरान सेवा निर्यात और सेवा आयात में क्रमश: 16.2 तथा 17.4 प्रतिशत की उल्‍लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई। इस अवधि के दौरान सेवा क्षेत्र से जुड़ी शुद्ध प्राप्तियों में 14.6 प्रतिशत की वृद्धि आंकी गई है।
  • पर्यटन: आर्थिक सर्वेक्षण के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र के विश्व पर्यटन संगठन (दिसंबर 2017) के अनुसार 2016 में अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आगमन कुल मिलाकर 1.2 बिलियन तक पहुंच गया जो पिछले वर्ष की तुलना में 46 मिलियन अधिक रहा। हालांकि 3.9 प्रतिशत की वृद्धि दर 2015(4.6प्रतिशत) की तुलना में मामूली सी कम थी। भारत में 2016 में 8.8 मिलियन विदेशी पर्यटक आए। (9.7 प्रतिशत) वृद्धि हुई है और 22.9 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्राप्ति हुई (8.8 प्रतिशत) की वृद्धि।
  • स्वास्थ्य संपदा क्षेत्र: स्वास्थ्य संपदा क्षेत्र का हिस्सा जिसमें मकानों का स्वामित्व भी शामिल है, 2015-16 में भारत की संपदा जीवीए का 7.7 प्रतिशत था, पिछले तीन वर्षों में इस क्षेत्र की विभिन्न कमी आई है जो कि 2013-14 में 7.5 प्रतिशत से कम होकर 2014-15 में 6.6 प्रतिशत हो गई और यहां 215-16 में और घटकर 4.4 प्रतिशत हो गई।
  • अनुसंधान और विकास: अनुसंधान और विकास (आर एंड डी) के लिए अलग से कोई शीर्षक नहीं है जिसमें व्यवसायिक, वैज्ञानिक तकनीकी गतिविधियों की हिस्सेदारी होती है। इन सेवाओं में क्रमशः 2014-15 और 2015-16 में 17.5 प्रतिशत और 41.1 की वृद्धि हुई है। भारत आधारित आर एंड डी सेवाओं में 22 प्रतिशत की वैश्विक बाजार की हिस्सेदारी से 12.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई। आर एंड डी क्षेत्र में भारत का कुल खर्च जीडीपी का लगभग एक प्रतिशत है। ग्लोबल इन्वेशन इंडेक्स (जीआईआई) 2017 में भारत 127 देशों में 60वें स्थान पर है। 2016 में यह 66th वें पायदान पर था।
  • अंतरिक्ष: उपग्रह प्रक्षेपण के मामले में भारत ने पिछले कुछ वर्षों में शानदार प्रदर्शन किया है। मार्च 2017 में 254 उपग्रहों के के प्रक्षेपण के साथ भारत ने सैटलाइट के क्षेत्र में मिसाल कायम की। इससे भारत को काफी मात्रा में विदेशी मुद्रा प्राप्त हुई। 2015-16 और 2016-17 क्रमशः 394 करोड़ और 275 करोड़ रूपये का उपग्रह प्रक्षेपण से राजस्व हासिल हुआ। इसी तरह 2014-15 में 149 करोड़ रुपये का राजस्व हासिल हुआ। वैश्विक उपग्रह प्रक्षेपण से प्राप्त होने वाले राजस्व में भारत की हिस्सेदारी बढ़ रही है। इसमें 2015-16 में 1 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। 2014-15 में 0.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।

जलवायु परिवर्तन के प्रति भारत की प्रतिबद्धता

  • पेरिस घोषणा पत्र में उत्सर्जन स्तर को 2030 तक 2005 के स्तर का 33-35 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा गया है।
  • भारत की शहरी जनसंख्या 2031 तक 600 मिलियन हो जाएगी।
  • सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए आधार है- सतत, आधुनिक और सस्ती ऊर्जा।
  • 30 नवंबर, 2017 तक कुल ऊर्जा क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 18 प्रतिशत था और यह पिछले 10 वर्षों में तीन गुणा बढ़ा है।
  • जलवायु परिवर्तन के प्रति प्रतिबद्धता के संदर्भ में सर्वेक्षण ने 8 वैश्विक प्रौद्योगिकी निगरानी समूहों के गठन का उल्लेख किया है। इससे जलवायु परिवर्तन कार्य योजना जो 2014 में शुरू हुई थी, को 2017-18 से 2019-20 तक का विस्तार दिया गया है। इसके लिए 132.4 करोड़ रुपये की धनराशि आवंटित की गई है। राष्ट्रीय अनुकूलन कोष को भी 31 मार्च, 2020 तक विस्तार दिया गया है। इसके लिए 364 करोड़ रुपये की धनराशि निर्धारित की गई है।

10 नए आर्थिक तथ्‍य

  • 1. वस्‍तु एवं सेवा कर (जीएसटी) ने भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को एक नया परिप्रेक्ष्‍य दिया है और नए आंकड़े उभर कर सामने आए हैं। अप्रत्‍यक्ष करदाताओं की संख्‍या में 50 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है।
  • 2. भारत का औपचारिक क्षेत्र, विशेषकर औपचारिक गैर-कृषि पे-रोल को वर्तमान अनुमान की तुलना में बहुत अधिक पाया गया है।
  • 3. भारत के इतिहास में पहली बार राज्‍यों के अंतर्राष्‍ट्रीय निर्यात से जुड़े आंकड़ों को आर्थिक सर्वेक्षण में परिलक्षित किया गया है।
  • 4. निर्यात में शीर्ष एक प्रतिशत भारतीय कंपनियों की हिस्‍सेदारी केवल 38 प्रतिशत आंकी गई है, जबकि ठीक इसके विपरीत कई देशों में इन शीर्ष कंपनियों की हिस्‍सेदारी बहुत अधिक पाई गई है.
  • 5. राज्‍यों के शुल्‍कों में छूट (आरओएसएल) से सिले-सिलाए परिधानों (मानव निर्मित फाइबर) का निर्यात लगभग 16 प्रतिशत बढ़ गया है, जबकि अन्‍य के मामलों में ऐसा नहीं देखा गया है।
  • 6. भारतीय समाज में लड़कों के जन्‍म के प्रति तीव्र इच्‍छा दिखाई जाती है। आर्थिक सर्वेक्षण में इस ओर भी ध्‍यान दिलाया गया है कि अधिकतर माता-पिता तब तक बच्‍चों की संख्‍या बढ़ाते रहते हैं, जब तक कि उनके यहां जन्‍म लेने वाले लड़कों की संख्‍या अच्‍छी-खासी नहीं हो जाती है।
  • 7. भारत में कर विभागों ने कई कर विवादों में चुनौती दी है, लेकिन इसमें सफलता की दर भी कम रही है। यह दर 30 प्रतिशत से कम आंकी गई है।
  • 8. बचत में वृद्धि से आर्थिक विकास नहीं हुआ, जबकि निवेश में वृद्धि से आर्थिक विकास निश्चित तौर पर हुआ है।
  • 9. भारतीय राज्‍यों और अन्‍य स्‍थानीय सरकारों, जिन्‍हें कर संग्रह का अधिकार दिया गया है, का प्रत्‍यक्ष कर संग्रह अन्‍य संघीय राष्‍ट्रों के समकक्षों की तुलना में बहुत कम पाया गया है।
  • 10. भारतीय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन दर्शाने वाले स्‍थलों और इसके कारण कृषि पैदावार पर हुए व्‍यापक प्रतिकूल असर को भी रेखांकित किया गया है।

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