क्या: महिला सुरक्षा के लिए नया प्रभाग
कहाँ: गृह मंत्रालय
क्यों: महिला सुरक्षा के सभी पहलुओं से निपटेगा
- गृह मंत्रालय ने महिला सुरक्षा के मुद्दे पर व्यापकता से निपटने के लिए नया प्रभाग (New Division) बनाया है। यह प्रभाग संबंधित मंत्रालयों/विभागों और राज्य सरकारों के साथ समन्वय कर महिला सुरक्षा के सभी पहलुओं से निपटेगा।
- इस प्रभाग का नेतृत्व करने के लिए 1993 बैच की एजीएमयूटी कैडर की अधिकारी श्रीमती पुण्य सलीला श्रीवास्तव को संयुक्त सचिव के पद पर तैनात किया गया है।
- नया प्रभाग निम्नलिखित विषयों से निपटेगा :-
- महिलाओं, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के खिलाफ अपराध।
- बच्चों, वृद्ध व्यक्तियों के खिलाफ अपराध।
- तस्करी रोधी प्रकोष्ठ।
- जेल कानून और जेल सुधार से संबंधित मामले।
- निर्भया कोष के तहत सभी योजनाएं।
- अपराध और आपराधिक ट्रैकिंग और नेटवर्क प्रणाली (सीसीटीएनएस)
- राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी)
राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन
- विभिन्न्न हितधारक मंत्रलयों/विभागों की भागीदारी से राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन के सृजन हेतु विचार किया गया जो समयबद्ध तरीके से विशेषीकृत कार्रवाई कर सके। इनमें शामिल हैं; स्पेशल फास्ट ट्रैक कोर्ट का गठन, फॉरेंसिक सेट अप को मजबूत करना तथा लैंगिक अपराधियों की राष्ट्रीय रजिस्ट्री तैयार करना।
- राष्ट्रीय महिला सुरक्षा मिशन (National Mission for Safety of Women) के गठन से निम्नलिखित संभव हो सकेगाः
- महिलाओं, विशेष रूप से नाबालिग लड़कियों के खिलाफ अपराधों की उभरती नई स्थिति के लिए एक विश्वसनीय प्रत्युतर देना,
- महिलाओं की सुरक्षा पर ठोस प्रभाव के साथ उपायों के समयबद्ध कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना,
- हितधारक विभागों द्वारा बेहतर समन्वय,
- मिशन स्तर पर बेहतर निगरानी के साथ बलात्कार के मामलों और महिलाओं की सुरक्षा से संबंधित अन्य मामलों में समयबद्ध अभियोजन।
आपराधिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2018
- ज्ञातव्य है कि 21 अप्रैल 2018 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने आपराधिक विधि (संशोधन) अध्यादेश, 2018 के लागू करने के लिए गृह मामलों के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी थी और महिलाओं की सुरक्षा केे उद्देश्य से आपराधिक कानूनों के संशोधित प्रावधानों के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए कई अन्य उपायों को भी मंजूरी दी थी। सुरक्षा।
- मंत्रिमंडल ने आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 जारी किया था जिसके मााध्यम से आपराधिक प्रक्रिया संहिता, 1973, (सीआरपीसी) और भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) में संशोधन किया था, साथ ही परिणामी संशोधन पोस्को 2012 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 1872 में भी किये गए। अध्यादेश 21-04-2018 को जारी किया गया था। आपराधिक कानून में किए गए संशोधन को प्रभावी ढंग से कार्यान्वित करने के लिए, मंत्रिमंडल ने निम्नलििऽत उपायों को भी मंजूरी दे दी हैः –
- फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों की स्थापनाः बलात्कार के मामलों में त्वरित फैसला करने के लिए फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों की स्थापना हेतु केंद्रीय वित्त पोषित स्कीम आरंभ की जाएगी।
- अभियोजन मशीनरी को सुदृढ़ बनानाः इसी तरह, राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों में अभियोजन मशीनरी को मजबूत किया जाएगा और समय पर अभियोजन हेतु फास्ट ट्रैक विशेष अदालतों के लिए अतिरित्तफ़ पदों की मंजूरी के द्वारा क्षमता बढ़ाई जाएगी।
- जांच की गुणवत्ता में सुधारः बलात्कार के मामलों में सजा की दर जांच एजेंसियों द्वारा एकत्रित साक्ष्य की गुणवत्ता पर महत्वपूर्ण रूप से निर्भर करती है। सभी पुलिस स्टेशनों के साथ-साथ अस्पतालों में बलात्कार के मामलों के लिए विशेष फोरेंसिक किटों के लिए पर्याप्त प्रावधान किए जाएंगे।
- विशेष फोरेंसिक प्रयोगशालाएं
- बलात्कार के मामलों की जांच में एक महत्वपूर्ण पहलू आरोपी लोगों की निगरानी और इस संबंध में संबंधित एजेंसियों के साथ सूचना साझा करने से संबंधित है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड्स ब्यूरो (एनसीआरबी) राष्ट्रीय स्तर पर यौन अपराधियों के डेटाबेस और प्रोफाइल बनाए रखेगा और इसे नियमित रूप से राज्यों / केंद्रशासित प्रदेशों के साथ साझा करेगा।
- केंद्रीय गृह मंत्रालय में नया डिवीजन उपर्युक्त उपायों के कार्यान्वयन पर नजर रखेगा।