- ट्रम्प के नेतृत्व वाले अमेरिकी प्रशासन ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद् यानी ‘यूएनएचआरसी’ (United Nations Human Rights Council: UNHRC) की सदस्यता त्याग की घोषणा 19 जून, 2018 को की।
- अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ एवं यूएन में अमेरिकी स्थायी प्रतिनिधि निकी हेली के मुताबिक यह संगठन पाखंडी एवं स्व-सेवी है। इन्होंने इस परिषद् के इजरायली के खिलाफ पक्षपाती होने तथा ऐसे देशों की सदस्यता समाप्त नहीं करने की आलोचना की जो मानवाधिकार का सरासर उल्लंघन करते रहे हैं।
- अमेरिका ने चीन, रूस, क्यूबा और मिस्र पर सदस्यता त्याग के लिए भी जिम्मेदार ठहराया।
- ज्ञातव्य है कि इससे पहले ट्रंप के नेतृत्व वाला अमेरिका, यूनेस्को व पेरिस जलवायु परिवर्तन संधि से भी अलग होने की पूर्व में घोषणा कर चुका है।
- वर्ष 2006 में स्थापित यूएनएचआरसी का पहले भी अमेरिका आलोचक है। इसकी स्थापना के समय ही तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने इसकी सदस्यता स्वीकार नहीं की थी। बाद में बराक ओबामा के कार्यकाल के दौरान 2009 में अमेरिका यूएनएचआरसी का सदस्य बना।
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद्
- यूएनएचआरसीकी स्थापना 15 मार्च, 2006 के संयुक्त राष्ट्र महासभा के एक प्रस्ताव के द्वारा हुआ है। इसकी स्थापना पूर्ववर्ती संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की जगह हुई है।
- यह संयुक्त राष्ट्र संघ के अधीन एक अंतर-सरकारी निकाय है जो पूरे विश्व में मानवाधिकार की सुरक्षा के लिए काम करता है।
- इसकी बैठकें जेनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में होती है।
- इसके सदस्यों की संख्या 47 है जिसका चुनाव संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा किया जाता है।