क्याः रैटलपॉड प्रजातियां
कहांः महाराष्ट्र
प्रकृतिः झाडि़यां
- भारतीय वनस्पति विज्ञानियों ने रैटलपॉड (Rattlepod) की दो ऐसी नई प्रजातियों की खोज की हैं जो कि जंगली और बहु-बाड़ वाले रैटलपॉड हैं औ जो केवल महाराष्ट्र के पहाड़ी इलाकों में जीवित रहते हैं।
- ये दो प्रजातियां निम्नलिखित हैं;
- क्रोटोलरिया सफ्रुटीकोसा (Crotolaria suffruticosa): खोजी गयी दो प्रजातियों में एक प्रजाति का नाम क्रोटोलरिया सफ्रुटीकोसा है। यहां सफ्रुटीकोसा का मतलब है कि नीेच का भाग लकड़ी की तरह है जबकि ऊपर का हिस्साा जड़ी बूटी की तरह है। कोल्हापुर के करूल घाट के दो इलाकों में घास के मैदानों और जंगल के किनारों में यह वूडी रैटलपॉड पाया जाता है।
- क्रोटोलरिया मल्टीब्रैक्टएटा (Crotolaria multibracteata): यह प्रजाति महाराष्ट्र के पन्हाला क्षेत्र में चट्टानी व शुष्क सतहों पर ही जीवित रहती है।
- इन दोनों प्रजातियों की सीमित भौगोलिक वितरण इन्हें आईयूसीएन द्वारा निर्धारित मानदंडों के अनुसार ‘संकटापन्न’ श्रेणी में शामिल होने के लिए अर्ह है।
क्रोटोलेरिया प्रजाति के बारे में
- क्रोटोलरिया प्रजातियां, जिसके परिपक्व फल का उपयोग बच्चों द्वारा झुनझुने के रूप में उपयोग किया जाता है, छोटे चमकदार पीले रंग की िऽलने वाली झाडि़यां हैं और भारत के देहाती क्षेत्रें में आम रूप से पायी जाती हैं।
- भारत में पायी जाने वाली 85 रैटलपॉड या क्रोटोलेरिया प्रजातियों में 73 केवल प्रायद्वीपीय राज्यों में ही जीवित रह सकती हैं।
इन में से अधिकांश पश्चिमी घाटों पर केंद्रित हैं। (स्रोतः द हिंदू)