प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने 08 मार्च, 2018 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर राजस्थान के झुंझुनू में बालिका को बचाने और शिक्षित करने की सरकार की पहल को प्रोत्साहित करने के लिए ‘प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम के अखिल भारतीय विस्तार का उद्घाटन किया।
- इस कार्यक्रम का विस्तार कर वर्तमान में देश के 161 जिलों से बढ़ाकर 640 जिलों में किया गया है।
‘प्रधानमंत्री बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ कार्यक्रम
- 22 जनवरी, 2015 को हरियाणा के पानीपत में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा लॉन्च की गई बीबीबीपी योजना का प्राथमिक लक्ष्य बाल लिंग अनुपात में सुधार करना तथा महिला सशक्तिकरण से जुड़े अन्य विषयों का समाधान करना है।
- यह योजना तीन मंत्रालयों-महिला तथा बाल विकास मंत्रालय, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा मानव संसाधान तथा विकास मंत्रालय द्वारा संचालित है।
- महिला तथा बाल विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय है। यह योजना अनूठी है और मनोदशा रिवाजों तथा भारतीय समाज में पितृसत्ता की मान्यताओं को चुनौती देती है।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना को लागू करने के लिए बहुक्षेत्रीय रणनीति अपनाई गई है। इसमें लोगों की सोच को बदलने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान चलाना स्थानीय नवाचारी उपायों से समुदाय तक पहंचने पर बल देना,केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा गर्भ पूर्व तथा जन्म पूर्व नैदानिक तकनीकी अधिनियम लागू करना और स्कूलों में लड़कियों के अनुकूल संरचना बनाकर बालिका शिक्षा को प्रोत्साहित करना तथा शिक्षा के अधिकार को कारगर ढंग से लागू करना शामिल है। शुरू में बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना देश के सौ जिलों में लागू की गई।
- सभी ग्राम पंचायतों में गुड्डा-गुड्डी बोर्ड लगाए जाएंगे। हर महीने इस बोर्ड में संबंधित गांव के बालक-बालिका अनुपात को दर्शाया जाएगा।
- ग्राम पंचायत हर लड़की का जन्म होने पर उसके परिवार को तोहफा भेजेगी।
- ग्राम पंचायत साल में कम-से-कम एक दर्जन लड़कियों का जन्मदिन मनाएगी।
- सभी ग्राम पंचायतों में लोगों को ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ की शपथ दिलाई जाएगी।
- किसी गांव में अगर बालक-बालिका अनुपात बढ़ता है, तो वहां की ग्राम पंचायत को सम्मानित किया जाएगा।
- बाल विवाह के लिए ग्राम प्रधान को जिम्मेदार माना जाएगा और उसके खिलाफ कार्रवाई होगी।
- कन्या भ्रूण हत्या रोकने के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए स्थानीय स्कूलों और कॉलेजों को अभियान में शामिल किया जाएगा।
- विभिन्न स्तरों पर ग्राम पंचायतों के माध्यम से लोगों से संवाद किया गया। बातचीत में प्रत्यायित सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता (आशा), आंगनवाड़ी कार्यकर्ता (एडब्ल्यूडब्ल्यू) ऑक्सीलियरी नर्सिंग मिडवाइफ (एएनएम) तथा स्वयं सहायता समूह के सदस्यों, निर्वाचित प्रतिनिधियों, धार्मिक नेताओें और समुदाय के नेताओं को शामिल किया गया।
- बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ अभियान को व्यापक बनाने के लिए, विशेषकर युवाओं में व्यापकता के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों का भी इस्तेमाल किया गया और जन साधारण में बालिका के महत्व को लेकर सार्थक संदेश दिेये गये।
बालक-बालिका अनुपात
- बालक-बालिका अनुपात (सीएसआर) से यह पता चलता है कि किसी भी राज्य या शहर अथवा देश में हर 1000 बालकों के अनुपात में कितनी बालिकाएं हैं। एक दुखद सच यह है कि कन्या भ्रूण हत्या की निर्मम घटनाओं के चलते भारत में यह अनुपात लगातार घटता जा रहा है। वर्ष 1991 में हर 1000 बालकों पर 945 बालिकाएं थीं, लेकिन वर्ष 2011 में हर 1000 बालकों पर 918 बालिकाएं ही थीं। आंकड़े बयान करते है कि इस दौरान हरियाणा में सबसे कम यानि 877 महिलायें जबकि केरल में सर्वाधिक यानि 1000 के पीछे 1084 महिलायें हैं।