क्याः प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके)
कबः 2 मई, 2018
क्योंः अल्पसंख्यक समुदायों को बेहतर सामाजिक-आर्थिक संरचना सुविधाएं
- केंद्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने 2 मई, 2018 को बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी-Multi-sectoral Development Programme: MsDP)) को प्रधानमंत्री जनविकास कार्यक्रम (पीएमजेवीके) के रूप में नामकरण करने और पुनर्गठन की मंजूरी दे दी।
- मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने इसे 14वें वित्त आयोग की शेष अवधि के दौरान जारी रखने को भी मंजूरी दे दी।
- पुनर्गठित कार्यक्रम अल्पसंख्यक समुदायों को विशेष रूप से शिक्षा, स्वास्थ्य और कौशल विकास के क्षेत्र में बेहतर सामाजिक-आर्थिक संरचना सुविधाएं उपलब्ध कराएगा।
- इससे पिछड़ेपन के मामले में राष्ट्रीय औसत और अल्पसंख्यक समुदायों के बीच खाई में कमी आएगी। कार्यक्रम में लचीलापन को शामिल किये जाने से महत्वपूर्ण विषयों के समाधान में मदद मिलेगी और इससे अल्पसंख्यक समुदायों की अधिक समावेशिता के साथ तेजी से कार्यक्रम लागू होगा।
- अल्पसंख्यक सघनता वाले शहरों तथा गांवों के क्लस्टरों को चिन्हित करने के मानक को अल्पसंख्यक समुदायों के जनसंख्या प्रतिशत मानक घटा कर विवेकसंगत बनाया गया है और निम्नलिखित तरीकों से पिछड़ेपन के मानकों को पूरा किया गया है:
- पहले केवल उन शहरों को अल्पसंख्यक सघनता वाला माना जाता था, जो बुनियादी सुविधाओं और सामाजिक आर्थिक मानकों में पिछड़े थे। अब दोनों में से कोई एकमानक वाले शहर अल्पसंख्यक सघनता वाले शहर माने गए हैं।
- पहले गांवों के वैसे क्लस्टर सघनता वाले मानते जाते थे, जिनमें अल्पसंख्यक समुदाय की कम से कम आबादी 50 प्रतिशत हो, लेकिन अब जनसंख्या मानक को घटा कर 25 प्रतिशत कर दिया गया है।
- मानकों को तर्कसंगत बनाये जाने से समुदायों के समावेशी विकास और सामाजिक सौहार्द में मदद मिलेगी।
- पीएमजेवीके के अंतर्गत कवर किये जाने वाला क्षेत्र वर्तमान बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम की तुलना में 57 प्रतिशत अधिक होगा।
- बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम में देश के 196 जिले कवर किये गये थे, जबकिपीएमजेवीके में देश के 308 जिले कवर किये जाएंगे।
- व्यय : योजना का धन पोषण मंत्रालय के बजटीय प्रावधान से किया जाएगा। व्यय विभाग की व्यय वित्त समिति ने इस कार्यक्रम को 3,972 करोड़ की रुपये की लागत से पीएमजेवीके रूप में जारी रखने की सिफारिश की है।
- लाभार्थी : कार्यक्रम का उद्देश्य अल्पंख्यक सघनता वाले क्षेत्रों में विकास में कमी की समस्या का समाधान करना है। अल्पसंख्यक सघनता वाले क्षेत्रों की पहचान 2011 की जनगणना के आधार पर अधिसूचित अल्पसंख्यक समुदायों की ठोस आबादी की मौजूदगी के आधार पर किया गया है। 2011 की जनगणना डाटा के अनुसार अल्पसंख्यक सघनता वाले जनगणना के अनुसार 25 हजार से अधिक आबादी वाले अल्पसंख्यक सघनता वाले शहरों, अल्पसंख्यक सघनता वाले ब्लॉकों तथा गांवों के कलस्टर अल्पसंख्यक समुदायों की आबादी का कवरेज विस्तार करेंगे।
- कवर किये गये राज्य/जिले: पीएमजीवीके 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के 308 जिलों के अल्पसंख्यक सघनता वाले जिला मुख्यालयों, अल्पसंख्यक सघनता वाले ब्लॉकों, अल्पसंख्यक सघनता वाले शहरों में लागू किया जाएगा।
- क्रियान्वयन के लिए यूनिट क्षेत्र में अल्पसंख्यक सघनता वाले 109 जिला मुख्यालयों, 870 ब्लॉकों तथा 321 शहर शामिल होंगे।
- यह योजना अल्पसंख्यक सघनता वाले गांवों के पिछड़े कलस्टरों में भी लागू की जाएगी। पीएमजेवीके मानक के अनुसार बहुसंख्यक सघनता वाले गांवों के पिछड़े क्लस्टरों की पहचान राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के प्रस्ताव के आधार पर की जाएगी।
- पीएमजेवीके अब पांच और राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों-हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, नगालैंड, गोवा तथा पुद्दुचेरी को कवर करेगा।
- पीएमजेवीके के अंतर्गत 115 आकांक्षी जिलों में से 61 जिलों के अल्पसंख्यक सघनता वाले क्षेत्र कवर किये गये हैं।
- अल्पसंख्यक सघनता वाले ब्लॉकों, शहरों तथा गांवों के क्लस्टर के अतिरिक्त अल्पसंख्यक सघनता वाले जिला मुख्यालयों को शामिल करके क्रियान्वयन ईकाई क्षेत्र को व्यापक बनाया गया है।
- एमएसडीपी की तुलना में पीएमजेवीके पांच और राज्यों केंद्रशासित प्रदेशों-हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, नगालैंड, गोवा तथा पुद्दुचेरी को कवर करेगा।एमएसडीपी के अंतर्गत पहले शामिल किये गये सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को पीएमजेवीके अंतर्गत भी शामिल किया गया है।
- पीएमजेवीके के अंतर्गत 32 राज्यों के 308 जिलों में अल्पसंख्यक सघनता वाले ब्लॉकों तथा शहरों को शामिल किया गया है।
- पीएमजेवीके के अंतर्गत शामिल किये गये क्षेत्र में अल्पसंख्यक सघनता वाले 109 जिला मुख्यालय, 870 ब्लॉक और 321 गांव के कलस्टर होंगे।
- धन निर्धारित करके विशेष फोकस : पीएमजेवीके के अंतर्गत 80 प्रतिशत संसाधनों का निर्धारण शिक्षा, स्वास्थ्य तथा कौशल विकास से संबंधित परियोजनाओं के लिए होगा।
- पीएमजेवीके के अंतर्गत 33 से 40 प्रतिशत संसाधन विशेष रूप से महिला केंद्रित परियोजनाओं के लिए आवंटित किये जाएंगे
- कार्यक्रम निगरानी व्यवस्था सुदृढ़ बनाना: जियो-टैगिंग के साथ ऑनलाइन मॉड्यूल शामिल करके निगरानी व्यवस्था, पारदर्शिता तथा सूचना प्रचार-प्रसार से संबंधित प्रावधान मजबूत बनाए गए हैं।
- पीएमजेवीके में धन उपयोग की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए कार्यक्रम लागू करने वाली सभी एजेंसियों को सार्वजनिक वित्त प्रबंधन प्रणाली (पीएफएमएस) के अंतर्गत लाने का प्रावधान किया गया है।
बहुक्षेत्रीय विकास कार्यक्रम (एमएसडीपी)
- केंद्र प्रायोजित योजनाओं को विवेकसंगत बनाने के लिए नीति आयोग द्वारा गठित मुख्यमंत्रियों के उपसमूह की रिपोर्ट में राष्ट्रीय विकास कार्यक्रम के अंतर्गत एमएसडीपी को एक प्रमुख योजना के रूप में चिन्हित किया गया है।
- यह कार्यक्रम 2008-2009 में चिन्हित अल्पसंख्यक सघनता वाले उन 90 जिलों में लांच किया गया था, जिनमें अल्पसंख्यक आबादी कम से कम 25 प्रतिशत है और पिछड़ेपन के एक या दोनों मानकों में राष्ट्रीय औसत से नीचे हो, ताकि सामाजिक, आर्थिक तथा बुनियादी सुविधाएं विकसित की जा सकें। अल्पसंख्यक सघनता वाले जिलों को 2001 की जनगणना डाटा के आधार पर चिन्हित किया गया था। यह कार्यक्रम 11वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान जारी रहा।
- 12वीं पंचवर्षीय योजना के दौरान क्रियान्वयन के लिए जून 2013 में एमएसडीपी को पुनर्गठित किया गया और क्रियान्वयन क्षेत्र के स्थान पर अल्पसंख्यक सघनता वाले ब्लॉकों, शहरों तथा गांवों के क्लस्टर लाये गये। 196 जिलों में कुल ब्लॉक 710, कुल शहर 66 थे। एमएसडीपी अभी 27 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में चल रहा है।
- एमएसडीपी मुख्य रूप से चिन्हित पिछड़े अल्पसंख्यक सघनता वाले क्षेत्रों में विभिन्न केंद्रीय मंत्रालयों/विभागों की केंद्र प्रायोजित योजनाओं के तौर-तरीकों, दिशा-निर्देशों और धन व्यवस्था आधार में परिवर्तन किये बिना मजबूती प्रदान करके विकास खाइयों कोपाटने के लिए तैयार किया गया था।
- परियोजनाओं में अतिरिक्त क्लासरूम, प्रयोगशालाएं, स्कूल भवन, छात्रावास, शौचालय, पॉलीटेक्निक, आईआईटी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र/उपकेंद्र/आंगनवाड़ी केंद्र, ग्रामीण आवास के लिए भवन आदि शामिल हैं।
- खाई पाटने की परियोजना के अतिरिक्त एमएसडीपी के अंतर्गत ऐसी नावाचारी परियोजना को लेने का प्रावधान हैं, जो विभिन्न मंत्रालयों के वर्तमान सीएसएस द्वारा कवर नहीं की गई है और जिनका धन पोषण 60:40 अनुपात के आधार पर होता है और पूर्वोत्तर राज्यों तथा पर्वतीय राज्यों में यह अनुपात केंद्र और राज्य के बीच 90 और 10 का है। इसमें सद्भाव मंडप, मार्केट शेड आदि शामिल हैं।