क्याः एक साथ चुनाव
किसनेः 21वें विधि आयोग
कबः 2019
- न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) बी.एस. चौहान की अध्यक्षता वाले 21वें विधि आयोग ने वर्ष 2019 के लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने का समर्थन किया है।
- विधि आयोग, जो कि सरकार का सबसे बड़ा विधिक सलाहकार है, ने 17 अप्रैल, 2018 को एक श्वेत पत्र जारी किया है जिसमें साथ-साथ चुनाव कराने की सिफारिश की है।
- उपर्युक्त उद्देश्य की पूर्ति हेतु आयोग ने संविधान में संशोधन का सुझाव दिया है।
- आयोग ने श्वेत पत्र पर संविधान विशेषज्ञों, राजनीतिक दलों, नौकरशाहों, शिक्षाविदों, छात्रें इत्यादि से इस संबंध में 8 मई, 2018 तक सुझाव मांगे हैं।
- विधि आयोग के मुताबिक देश में वर्ष 1967 तक लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव एक साथ कराये जाते थे किंतु 1968 में कई विधानसभाओं के भंग होने तथा 1969 में लोकसभा के भंग होने के साथ ही यह परंपरा समाप्त हो गयी।
- आयोग ने जनवरी 2017 में नीति आयोग की वर्किंग पेपर का भी हवाला दिया है जिसमें लोकसभा एवं विधानसभा के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की गई है।
- ज्ञातव्य है कि उपर्युक्त प्रावधान के लिए संविधान में संशोधन के साथ-साथ, जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 तथा लोकसभा एवं विधानसभाओं के प्रक्रिया नियम में भी संशोधन करने होंगे।
- विधि आयोग की अन्य सिफारिशें निम्नलिखित हैं;
- स्थिरता हेतु चुनाव के पश्चात बहुमत दल के नेता को प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री के रूप में संपूर्ण सदन (लोकसभा या विधानसभा) द्वारा निर्वाचित जाएगा।
- यह सरकार मध्यावधि में ही गिर जाती है तो नई सरकार का कार्यकाल शेष अवधि के लिए ही होगा।
- सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के तुरंत पश्चात विश्वास प्रस्ताव लाया जाना चाहिये।