क्याः महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण गठन
कबः 12 मार्च, 2018
कौनः न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर अध्यक्ष
क्योंः ओडिशा एवं छत्तीसगढ़ के बीच विवाद
- केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास और गंगा संरक्षण मंत्रालय ने महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन संबंधी अधिसूचना 12 मार्च, 2018 को जारी कर दी।
- सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.एम.खानविलकर को इस न्यायाधीकरण का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
- इस न्यायाधिकरण का मुख्यालय दिल्ली में बनाया गया है।
- इसके अन्य सदस्य हैं; पटना उच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉ. रवि रंजन, दिल्ली उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति इंदरमीत कौर कोचर।
पृष्ठभूमि
- ओडिशा सरकार द्वारा दायर मुकदमे में 23 जनवरी, 2018 को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश के बाद न्यायाधिकरण का गठन किया गया। ओडिशा सरकार ने मांग की थी कि अंतर्राज्यीय नदी जल विवाद कानून, 1956 के अंतर्गत अंतर राज्यीय नदी महानदी और उसकी नदी घाटी पर जल विवाद को फैसले के लिए न्यायाधिकरण को सौंप दिया जाए।
- केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 20 फ़रवरी, 2018 को ओडिशा के अनुरोध पर अंतरराज्यीय नदी विवाद कानून, 1956 के अंतर्गत महानदी जल विवाद न्यायाधिकरण के गठन के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी।
- न्यायाधिकरण सम्पूर्ण महानदी बेसिन में पानी की सम्पूर्ण उपलब्धता, प्रत्येक राज्य के योगदान, प्रत्येक राज्य में जल संसाधनों के वर्तमान उपयोग और भविष्य के विकास की संभावना के आधार पर जलाशय वाले राज्यों के बीच पानी का बंटवारा निर्धारित करेगा।
- अंतरराज्यीय नदी जल विवाद (आईएसआरडब्ल्यूडी) कानून, 1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण में एक अध्यक्ष और दो अन्य सदस्य होते हैं. जिन्हें भारत के मुख्य न्यायाधीश उच्चतम न्यायालय अथवा उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों में से मनोनीत किये जाते हैं। इसके अलावा जल संसाधन विशेषज्ञ दो आकलनकर्ताओं की सेवाएं न्यायाधिकरण की कार्यवाही में सलाह देने के लिएप्रदान की जाएंगी। इन आकलनकर्ताओं को जल संबंधी संवेदनशील मुद्दों को निपटाने का अनुभव होगा।
- आईएसआरडब्ल्यूडी कानून, 1956 के प्रावधानों के अनुसार न्यायाधिकरण को अपनी रिपोर्ट और फैसले तीन वर्ष की अवधि के भीतर देने होंगे, जिसे अपरिहार्य कारणों से दो वर्ष के लिए बढ़ाया जा सकता है।
- उम्मीद है कि न्यायाधिकरण द्वारा विवाद के न्यायिक निपटारे के साथ ही महानदी नदी पर ओडिशा और छत्तीसगढ़ राज्यों के बीच लंबित विवाद का अंतिम निपटारा हो सकेगा।