क्याः इप्रा एवं चिपी बाघ
कहांः अरुणाचल प्रदेश
क्योंः उप-प्रजातीय पहचान पर संदेह
- वर्ष 2012 में चीनी की सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश की ऊपरी दिबांग घाटी जिला में अनिनी के पास आठ माह के दो बाघ पाए गए थे। इन्हें बाद में इटानगर के बायोलॉजिकल उद्यान में डाल दिया गया था।
- द हिंदू के अनुसार इप्रा जहां नर है वहीं चिपी मादा है। आरंभ में इन्हें रॉयल बंगाल टाइगर समझा गया था। किंतु इप्रा एवं चिपी में कुछ खास विशिष्टताएं हैं जिससे कुछ विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं ये बाघ की दो अलग प्रजातियां हो सकती हैं।
- रायल बंगाल टाइगर के विपरीत इन दोनों बाघों के कान के पीछे सफेद धब्बा नहीं है। इसके अलावा इनका आकार भी रॉयल बंगाल टाइगर से बड़ा है।
- बाघ की उप-प्रजातियों में केवल साइबेरियन या आमूर बाघ ही रॉयल बंगाल टाइगर से बड़ी है।
- इप्रा एचं चिपी की आनुवंशिकता के बारे में और जानकारी के लिए इनके खून एवं बाल के नमूने ‘लैकोनेस’ (Laboratory for the Conservation of Endangered Species of the Centre for Cellular and Molecular Biology: LaCONES) हैदराबाद में भेजा गया है।
बाघ की उप-प्रजातियां
- बाघ की निम्नलिखित उप-प्रजातियां हैं
- रॉयल बंगाल बाघ (संकटापन्न)
- साइबेरियन बाघ (संकटापन्न)
- इंडो-चाइनीज बाघ (संकटापन्न)
- मलयन बाघ (चरम संकटापन्न)
- साउथ चाइना बाघ (चरम संकटापन्न)
- सुमात्रा बाघ (चरम संकटापन्न)