क्याः समेकित सिल्क उद्योग विकास योजना
कबः 21 मार्च, 2018
क्योंः 2022 तक रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना
- केंद्र सरकार ने 21 मार्च, 2018 को वर्ष 2017-18 से 2019-20 तक अगले तीन वर्षों के लिए ‘समेकित सिल्क उद्योग विकास योजना’’ (Integrated Scheme for Development of Silk Industry) को मंजूरी दी है।
- यह केंद्रीय क्षेत्रीय की योजना है।
उद्देश्य
- योजना का प्रमुख उद्देश्य अनुसंधान और विकास के जरिए रेशम की उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार लाना है।
- अनुसंधान और विकास का मुख्य जोर उन्नत क्रॉसब्रीड रेशम और आयात के विकल्प के रूप में बाइवोल्टाइन रेशम को बढ़ावा देना है ताकि भारत में बाइवोल्टाइन रेशम का उत्पादन इस स्तर तक बढ़ाया जा सके कि 2022 तक कच्चे रेशम का आयात नगण्य हो जाए और भारत रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भर हो।
योजना के चार घटक
- इस योजना के चार घटक हैं। ये निम्नलिखित हैं;
- अनुसंधान और विकास, प्रशिक्षण, प्रौद्योगिकी का हस्तांतरण और सूचना प्रौद्योगिकी पहल।
- बीज संगठन और किसान विस्तार केंद्र।
- बीज, धागे और रेशम उत्पादों के लिए समन्वय और बाजार विकास।
- रेशम परीक्षण सुविधाओं, खेत आधारित और कच्चे रेशम के कोवे के बाद टेक्नोलॉजी उन्नयन और निर्यात ब्रांड का संवर्द्धन करने की श्रृंखला के अलावा गुणवत्ता प्रमाणन प्रणाली।
व्यय
- वर्ष 2017-18 से 2019-20 के तीन वर्षों में योजना के कार्यान्वयन के लिए 2161-68 करोड़ रूपए के कुल आवंटन की मंजूरी दी गई है।
- केन्द्रीय रेशम बोर्ड के जरिए योजना को लागू की जाएगी।
क्या होगा प्रभाव?
- इस योजना से रेशम का उत्पादन वर्ष 2016-17 के दौरान 30348 मीट्रिक टन के स्तर से बढ़कर 2019-20 की समाप्ति तक 38500 मीट्रिक टन होने की उम्मीद है। यह निम्नलिखित तरीके से संभव होगा;
- वर्ष 2020 तक आयात के विकल्प के रूप में प्रतिवर्ष 8,500 मीट्रिक टन बाइवोल्टाइन रेशम का उत्पादन।
वर्ष 2019-20 की समाप्ति तक रेशम का उत्पादन वर्तमान 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर के स्तर से 111 किलोग्राम के स्तर तक लाने के लिए अनुसंधान और विकास। - बाजार की मांग को पूरा करने के लिए गुणवत्तापूर्ण रेशम के उत्पादन संबंधी मेक इन इंडिया कार्यक्रम के अंतर्गत उन्नत रीलिंग मशीनों (शहतूत के लिए स्वचालित रीलिंग मशीन, बेहतर रीलिंग / कताई मशीनरी और वन्य रेशम के लिए बुनियाद रीलिंग मशीनें) का बड़े पैमाने पर प्रसार।
- वर्ष 2020 तक आयात के विकल्प के रूप में प्रतिवर्ष 8,500 मीट्रिक टन बाइवोल्टाइन रेशम का उत्पादन।
लाभ
- इस योजना से महिला अधिकारिता को बढ़ावा मिलेगा और अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति तथा समाज के अन्य कमजोर वर्गों को आजीविका के अवसर मिलेंगे।
- इस योजना से 2020 तक 85 लाख से 1 करोड़ लोगों के लिए लाभकर रोजगार बढ़ाने में मदद मिलेगी।
पहले की योजनाओं से अलग कैसे?
- केंद्र सरकार के अनुसार यह योजना पूर्व की योजनाओं से निम्न मामले में बेहतर है;
- इस योजना का उद्देश्य 2022 तक रेशम उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है। इस लक्ष्य को हासिल करने पर, वर्ष 2022 तक भारत में उच्च कोटि के रेशम का उत्पादन 20,650 मीट्रिक टन तक पहुंच जाएगा, जो वर्तमान में 11,326 मीट्रिक टन है। इससे आयात घटकर शून्य हो जाएगा।
- पहली बार उच्च श्रेणी की गुणवत्ता वाले रेशम के उत्पादन में सुधार पर स्पष्ट रूप से ध्यान दिया गया है। प्रस्ताव रखा गया है कि 2020 तक 4ए ग्रेड के रेशम का उत्पादन शहतूत के उत्पादन का वर्तमान 15 प्रतिशत के स्तर से बढ़ाकर 25 प्रतिशत कर दिया जाए।