- भारतीय वास्तुकार बालकृष्ण दोशी को प्रतिष्ठित ‘प्रित्ज्कर पुरस्कार 2018’ देने की घोषणा की गई।
- पुणे में जन्में 90 वर्षीय दोशी भारत के प्रथम व्यक्ति हैं जिन्हें इस पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उन्हें यह पुरस्कार आगा खान संग्रहालय टोरंटो (कनाडा) में प्रदान किया जाएगा।
- वे भारतीय उपमहाद्वीप के महान मौजूदा वास्तुकारों में से एक है।
- जे.जे.स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर मुंबई के छात्र रह चुके दोशी मुख्य रूप से कम लागत वाले आवास व लोक संस्थानों का वास्तु बनाने के लिए जाने जाते हैं।
- उन्होंने 1955 में ‘वास्तु शिल्प’ स्टूडियो की स्थापना की।
- अहमदाबाद स्थित टैगोर मेमोरियल हॉल एवं इंदौर स्थित कम लागत वाले अरण्य लो कॉस्ट हाउसिंग डेवलपमेंट के वास्तुकार दोशी ही हैं। आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम बंगलुरू व आईआईएम लखनऊ के अलावा निफ्ट का भी डिजाइन तैयार किया।
- वे अहमदाबाद स्थित स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर के प्रथम निदेशक, स्कूल ऑफ प्लानिंग के प्रथम संस्थापक निदेशक, सेंटर फॉर एनवायर्नमेंट प्लानिंग एंड टेक्नोलॉजी के प्रथम संस्थापक डीन, विजुअल आर्ट सेंटर अहमदाबाद के संस्थापक सदस्य तथा अहमदाबाद स्थित कनोरिया सेंटर फॉर आर्ट्स के प्रथम संस्थापक निदेशक रह चुके हैं।
क्या है प्रित्ज्कर पुरस्कार?
- प्रित्ज्कर आर्किटेक्चर पुरस्कार किसी जीवित वास्तुकार को उनके विश्वस्तरीय योगदान के लिए पुरस्कृत किया जाता है।
- वास्तुशिल्प का नोबेल पुरस्कार के नाम से ख्यात प्रित्जकर पुरस्कार वर्ष 1979 से दिया जा रहा है।
- इस पुरस्कार की स्थापना 1979 में जे ए. प्रित्ज्कर द्वारा की गई थी तथा यह पुरस्कार प्रित्ज्कर परिवार व हयात फाउंडेशन द्वारा प्रदान किया जाता है।
- पुरस्कार विजेता को एक लाख डॉलर की राशि पुरस्कार स्वरूप प्रदान की जाती है।
- प्रथम प्रित्जकर पुरस्कार ग्लास हाउस के वास्तुकार फिलिप जॉन्सन को 1979 में दिया गया था।