झारखंड के देवघर जिले में प्‍लास्टिक पार्क की स्‍थापना को मंजूरी

क्या: प्‍लास्टिक पार्क
कब: 20 मार्च 2018
कहाँ: झारखंड के देवघर जिले में

  • केन्‍द्रीय रसायन एवं उर्वरक और संसदीय मामलों के मंत्री श्री अनंत कुमार ने 20 मार्च 2018 को झारखंड के देवघर जिले में एक प्‍लास्टिक पार्क की स्‍थापना को मंजूरी दी।
  • इस परियोजना की स्‍थापना 150 एकड़ क्षेत्र में 120 करोड़ रुपये की लागत से की जाएगी और इसमें अनेक पॉलिमर उत्‍पाद तैयार किए जाएंगे, जिनमें बुनी हुई बोरियां, मॉल्‍डेड फर्नीचर, पानी की टंकी, बोतल, पाइप, मच्‍छरदानी इत्‍यादि शामिल हैं।
  • इसमें प्‍लास्टिक उद्योग के लिए एक परितंत्र की स्‍थापना करने हेतु निवेश आकर्षित करने और स्‍थानीय जनता के लिए रोजगार अवसर सृजित करने की असीम संभावनाएं हैं।
  • इस परियेाजना से लगभग 6000 लोगों को प्रत्‍यक्ष रोजगार और 30,000 से भी ज्‍यादा लोगों को अप्रत्‍यक्ष रोजगार मिलने की उम्‍मीद है।
  • राज्‍य सरकार से प्‍लास्टिक पार्क के निकट एक केन्‍द्रीय प्लास्टिक इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी संस्थान (सिपेट) की स्‍थापना के लिए भूमि/भवन संबंधी बुनियादी ढांचा सुलभ कराने का अनुरोध किया गया है , ताकि वहां उपलब्‍ध बेशकीमती मानव संसाधन को प्‍लास्टिक इंजीनियरों और टेक्निशियन में परिवर्तित करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सके।
  • इस मानव संसाधन की विशेष अहमियत है, क्‍योंकि प्‍लास्टिक उद्योग त्‍वरित गति से प्रगति कर रहा है और भारत में पॉलिमर की खपत मौजूदा 10 मिलियन मीट्रिक टन से बढ़कर वर्ष 2022 तक 20 मिलियन मीट्रिक टन के स्‍तर पर पहुंच जाएगी।
  • श्री अनंत कुमार ने देवघर के एक पर्यटक स्‍थल होने के कारण वहां इकट्ठा हो रहे प्‍लास्टिक कचरे के खतरे से निपटने के लिए देवघर में 3.5 करोड़ रुपये की लागत वाली प्‍लास्टिक रिसाइक्‍लिंग यूनिट की स्‍थापना करने की भी घोषणा की।
  • देवघर में हर साल 5 करोड़ से भी ज्‍यादा पर्यटक आते हैं, जिससे ढेर सारा प्‍लास्टिक कचरा इकट्ठा हो जाता है। इस कचरे की वैज्ञानिक ढंग से रिसाइक्लिंग करने की जरूरत है, ताकि प्‍लास्टिक कचरे के सृजन को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ सतत विकास सुनिश्चित किया जा सके। इस तथ्‍य के मद्देनजर प्‍लास्टिक रिसाइक्लिंग यूनिट की विशेष अहमियत है।
  • भारत सरकार को उम्मीद है कि प्लास्टिक पार्क, सिपेट और प्‍लास्टिक रिसाइक्लिंग यूनिट की स्‍थापना से एक ऐसे परितंत्र का निर्माण होगा, जो देवघर में प्‍लास्टिक उद्योग की स्‍थापना को बढ़ावा देगा और इस तरह आगे चलकर देवघर को एक ‘प्‍लास्टिक हब’ में तब्‍दील कर देगा।

क्या है प्लास्टिक पार्क स्कीम?

  • प्‍लास्टिक क्षेत्र के मूल्‍य संवर्द्धन श्रृंखला में आगे बढ़ने और अर्थव्‍यवस्‍था में और अधिक प्रभावी ढंग से योगदान करने में सहायता करने के लिए अपेक्षित विश्‍वस्‍तरीय अवसंरचना और सामान्‍य सुविधाओं के साथ आवश्‍यकता आधारित प्‍लास्टिक पार्कों की स्‍थापना के लिए सरकार ने योजना को अनुमोदित किया है।
  • इस योजना का लक्ष्‍य, अन्‍य बातों के साथ-साथ, प्रतिस्‍पर्धात्‍मक एवं निवेश बढ़ाना, पर्यावरण अनुकूल सतत् विकास प्राप्‍त करना और प्‍लास्टिक क्षेत्र में क्षमताओं के समन्‍वय द्वारा क्‍लस्‍टर विकास को अपनाना है।
  • क्‍लस्‍टर उद्यमियों या किसी केंद्र/राज्‍य सरकार अभिकरण द्वारा प्‍लास्टिक उद्योग का प्रतिनिधित्‍व करने वाले प्रयोगकर्ता उद्यमों के सहयोग से निर्मित स्‍पेशल पर्पज व्‍हीकल (एसपीवी) को एकमुश्‍त अनुदान सहायता प्रदान करके इस योजना का कार्यान्‍वन अभिकल्पित है।
  • इस योजना के तहत सरकार परियोजना लगत का 50 प्रतिशत की अनुदान निधि प्रदान करती है जिसकी अधिकतम सीमा 5 करोड़ रुपए है.
  • अभी तक 10 प्लास्टिक पार्क की स्थापना का प्रस्ताव है. असम (तिनसुकिया जिला), ओडिशा (सिजु गांव, कुजंगा तहसील, जगतसिंहपुर जिला) और मध्य प्रदेश (टैमोट गांव, गोहरगंज तहसील, रायसेन जिला) में प्लास्टिक पार्क स्थापित करने के प्रस्ताव को अंतिम मंजूरी मिली है, जबकि तमिलनाडु में प्लास्टिक पार्क (वायलूर गांव, पोंनेरी तालुक, थिरुवल्लुर जिला) को ‘सिद्धांत रूप में’ अनुमोदन दिया गया है।
  • छह अन्य प्रस्तावित पार्क झारखंड, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में स्थापित किये जाने हैं.

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *