जिला स्‍तर पर व्‍यावसायिक अदालतों की स्‍थापना

प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी की अध्‍यक्षता में केन्‍द्रीय मंत्रिमंडल ने संसद में पेश करने के लिए व्‍यावसायिक अदालतों, व्‍यावसायिक डिवीजन और उच्‍च न्‍यायालयों की व्‍यावसायिक डिवीजन (संशोधन) विधेयक 2018 को 7 मार्च, 2018 को मंजूरी दी।

  • विधेयक में निम्‍नलिखिल लक्ष्‍यों को हासिल करने की व्‍यवस्‍था की गई है:
  • विधेयक में व्‍यावसायिक विवाद के निर्दिष्‍ट मूल्‍य (specified value of a commercial dispute) को वर्तमान एक करोड़ रूपये से कम करके तीन लाख रूपये कर दिया गया है : अत: तर्कसंगत मूल्‍य के व्‍यावसायिक विवादों का निपटारा व्‍यावसायिक अदालतों द्वारा किया जा सकता है। इससे कम मूल्‍य के व्‍यावसायिक विवादों के समाधान में लगने वाले समय (वर्तमान में 1445 दिन) को कम किया जा सकेगा और ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस में भारत की रैंकिंग को सुधारा जा सकेगा।
  • व्‍यावसायिक अदालतों की स्‍थापना: संशोधन में उन क्षेत्रों के लिए जिला न्‍यायाधीश के स्‍तर पर व्‍यावसायिक अदालतों की स्‍थापना (Commercial Courts at district Judge level) की व्‍यवस्‍था की गई है, जिन पर सम्‍बद्ध उच्‍च न्‍यायालयों में मूलरूप से सामान्‍य दीवानी न्‍याय का अधिकार है जैसे चेन्‍नई, दिल्‍ली, कोलकाता, मुंबई और हिमाचल प्रदेश राज्‍य में। ऐसे क्षेत्रों में राज्‍य सरकारें अधिसूचना के जरिये जिला स्‍तर पर निर्णय दिये जाने वाले व्‍यावसायिक विवादों के आर्थिक मूल्‍य निर्दिष्‍ट कर सकती हैं, जो तीन लाख रुपये से कम और जिला अदालत के धन संबंधी मूल्‍य से अधिक नहीं हो।
  • मूल रूप से सामान्‍य अधिकार क्षेत्र का इस्‍तेमाल करने के अलावा उच्‍च न्‍यायालयों के अधिकार क्षेत्र में जिला न्‍यायाधीश के स्‍तर से कम व्‍यावसायिक अदालतों द्वारा निपटाए गए व्‍यावसायिक विवादों में अपील का एक मंच जिला न्‍यायाधीश स्‍तर पर व्‍यावसायिक अपीलीय अदालतों के रूप में प्रदान किया जाएगा।
  • ऐसे मामलों में जहां तुरंत, अंतरिम राहत राहत पर विचार नहीं किया गया है, वहां संस्‍थान पूर्व मध्‍यस्‍थता प्रक्रिया (Pre-Institution Mediation process) की शुरूआत करके सम्‍बद्ध पक्षों को विधि सेवा प्राधिकार कानून 1987 के अंतर्गत गठित प्राधिकारों के जरिये अदालतों के दायरे से बाहर व्‍यावसायिक विवादों का निपटारा करने का अवसर मिलेगा। इससे व्‍यावसायिक विवादों के निपटारे में निवेशकों का विश्‍वास बहाल करने में भी मदद मिलेगी।
  • नये अनुच्‍छेद 21-ए को शामिल करने से केंद्र सरकार पीआईएम के लिए नियम और प्रक्रियाएं तैयार कर सकेगी।
  • संशोधन को भावी प्रभाव देने के लिए ताकि न्‍यायिक कानून के प्रावधानों के अनुसार मौजूदा प्रावधान के अनुसार वर्तमान में व्‍यावसायिक विवादों के निर्णय देने वाले न्‍यायिक मंचों के अधिकार क्षेत्र में कोई बाधा न पड़े।

पृष्‍ठभूमि

  • तेजी से हो रहे आर्थिक विकास के साथ व्‍यावसायिक गतिविधियां भी तेजी से बढ़ी हैं और साथ ही घरेलू और अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर व्‍यावसायिक विवादों में तेजी से वृद्धि हुई है। प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और विदेशों से व्‍यावसायिक लेन-देन में वृद्धि से व्‍यावसायिक विवादों की संख्‍या में पर्याप्‍त वृद्धि हुई है।
  • व्‍यावसायिक विवादों से जुड़े मामलों के तेजी से निपटारे को ध्‍यान में रखते हुए और खासतौर से विदेशी निवेशकों के बीच भारतीय विधि प्रणाली की स्‍वतंत्र और उत्‍तरदायी सकारात्‍मक छवि बनाने के लिए, व्‍यावसायिक अदालतों, व्‍यावसायिक डिविजन और उच्‍च न्‍यायालयों के व्‍यावसायिक अपीलीय डिविजन कानून 2015 अमल में लाया गया था और सभी न्‍यायिक क्षेत्रों में जिला स्‍तरों पर व्‍यावसायिक अदालतें स्‍थापित की गई। केवल उन क्षेत्रों को छोड़ दिया गया, जहां उच्‍च न्‍यायालयों के पास मूल रूप से सामान्‍य दीवानी निर्णय देने का अधिकार था। ये पांच उच्‍च न्‍यायालय हैं बम्‍बई, दिल्‍ली, कलकत्‍ता, मद्रासऔर हिमाचल प्रदेश उच्‍च न्‍यायालय क्रमश: मुंबई, दिल्‍ली, कोलकाता, चेन्‍नई शहरों और हिमाचल प्रदेश राज्‍य के क्षेत्रों के संबंध में मूल रूप से सामान्‍य दीवानी न्‍यायिक अधिकार क्षेत्र का इस्‍तेमाल कर रहे हैं। इन उच्‍च न्‍यायालयों के ऐसे क्षेत्रों में खंड-3 के उपखंड (1) के प्रावधान के अनुसार इन उच्‍च न्‍यायालयों में जिला स्‍तर पर कोई व्‍यावसायिक अदालतें नहीं हैं और इसके स्‍थान पर प्रत्‍येक उच्‍च न्‍यायालय में व्‍यावसायिक डिवीजन का गठन किया गया है। ऐसे व्‍यावसायिक विवादों के निर्दिष्‍ट मूल्‍य का निपटारा व्‍यावसायिक अदालतों अथवा उच्‍च न्‍यायालय की व्‍यावसायिक डिविजन द्वारा किया जाएगा, जैसा भी हो जिनका मूल्‍य इस समय एक करोड़ रुपये है।
  • ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस विश्‍व बैंक का एक सूचकांक है, जिसका सम्‍बन्‍ध अन्‍य बातों के अलावा किसी देश में विवाद निपटारे का माहौल बनाने से है, जो किसी व्‍यवसाय को स्‍थापित करने और उसको चलाने के लिए निवेशक तय करने के कार्य को सरल बनाता है। यह सूचकांक विश्‍व बैंक के समूह द्वारा तैयार किया गया है और 2002 से इसने दुनिया के लगभग सभी देशों का मूल्‍यांकन किया है। ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस की उच्‍च रैंकिंग का अर्थ है कि व्‍यवसाय को शुरू करने और उसे चलाने के लिए नियंत्रण माहौल अधिक अनुकूल है। 31 अक्‍तूबर, 2017 को विश्‍व बैंक ने अपनी नवीनतम वार्षिक इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस रिपोर्ट वर्ष 2018 के लिए जारी की, जिसमें भारत शीर्ष के उन 10 उन्‍नतिशील देशों में से एक के रूप में उभरकर सामने आया है और पहली बार भारत 30 स्‍थानों को पार करके 190 देशों में से इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के मामले में 100वें रैंक के देश के रूप में पहुंचा है। इससे यह साबित होता है कि सभी मोर्चों पर इज़ ऑफ डूइंग बिजनेस के लिए नियमित ढांचे में भारत सर्वश्रेष्‍ठ प्रक्रियाओं को तेजी से अपना रहा है।



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