प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 28 फ़रवरी 2018 को व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा और पुनर्वास) विधेयक, 2018 को लोकसभा में पेश करने की स्वीकृति दे दी। इस विधेयक की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएं हैं:-
- विधेयक रोकथाम, बचाव तथा पुनर्वास की दृष्टि से तस्करी समस्या का समाधान प्रदान करता है।
- तस्करी के गंभीर रूपों में जबर्दस्ती मजदूरी, भीख मांगना, समय से पहले यौन परिपक्वता के लिए किसी व्यक्ति को रासायनिक पदार्थ या हारमोन देना, विवाह या विवाह के छल के अंतर्गत या विवाह के बाद महिलाओं तथा बच्चों की तस्करी शामिल है।
- व्यक्तियों की तस्करी को बढ़ावा देने और तस्करी में सहायता के लिए जाली प्रमाण–पत्र बनाने, छापने, जारी करने या बिना जारी किए बांटने, पंजीकरण या सरकारी आवश्यकताओं के परिपालन के साक्ष्य के रूप में स्टीकर और सरकारी एजेंसियों से मंजूरी और आवश्यक दस्तावेज प्राप्त करने के लिए जालसाजी करने वाले व्यक्ति के लिए सजा का प्रावधान है।
- पीड़ितों/गवाहों तथा शिकायत करने वालों की पहचान प्रकट नहीं करके गोपनीयता रखना। पीड़ित की गोपनीयता उनके बयान वीडियो कांन्फ्रेंसिंग के जरिए दर्ज करके बरती जाती है। (इससे सीमा पार और अन्तर राज्य अपराधों से निटपने में मदद मिलती है)
- समयबद्ध अदालती सुनवाई और पीडि़तों को वापस भेजना-संज्ञान की तिथि से एक वर्ष की अवधि के अन्दर।
- अंतरिम सहायता: बचाये गये लोगों की त्वरित सुरक्षा और उनका पुनर्वास। पीडित शारीरिक, मानसिक आघात से निपटने के लिए पीडि़त 30 दिनों के अन्दर अंतरिम सहायता का हकदार है और अभियोगपत्र दाखिल करने की तिथि से 60 दिनों के अन्दर उचित राहत।
- पीड़ित का पुनर्वास अभियुक्त के विरूद्ध आपराधिक कार्रवाई शुरू होने या मुकदमें के फैसले पर निर्भर नहीं करता।
- पुनर्वास कोष: पहली बार पुनर्वास कोष बनाया गया। इसका उपयोग पीड़ित के शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और सामाजिक देखभाल के लिए होगा। इसमें उसकी शिक्षा, कौशल विकास, स्वास्थ्य देखभाल, मनोवैज्ञानिक समर्थन, कानूनी सहायता और सुरक्षित निवास आदि शामिल हैं।
- विशेष अदालत: मुकदमों की तेजी से सुनवाई के लिए प्रत्येक जिले में विशेष अदालत।
- यह विधेयक जिला, राज्य तथा केन्द्र स्तर पर समर्पित संस्थागत ढांचा बनाता है। यह तस्करी की रोकथाम, सुरक्षा जांच और पुनर्वास कार्य के लिए उत्तरदायी होगा। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) गृह मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय स्तर पर तस्करी विरोधी ब्यूरो के कार्य करेगा।
- सजा: सजा न्यूनतम 10 वर्ष सश्रम कारावास से आजीवन कारावास है और एक लाख रुपये से कम का दंड नहीं है।
- राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर संगठित गठजोड़ को तोड़ने के लिए संपत्ति की कुर्की जब्ती तथा अपराध से प्राप्त धन को जब्त करने का प्रावधान है।
- यह विधेयक अपराध के पारदेशीय स्वभाव से व्यापक रूप से निपटता है। राष्ट्रीय तस्करी विरोधी ब्यूरो विदेशी देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों के अधिकारियों के साथ अंतरराष्ट्रीय तालमेल करेगा, जांच में अंतरराष्ट्रीय सहायता देगा,साक्ष्यों और सामग्रियों, गवाहों के अंतरराज्य, सीमापार स्थानातंरण में सहायता देगा और न्यायिक कार्यवाहियों में अंतरराज्य और अंतरराष्ट्रीय वीडियो कांफ्रेंसिंग में सहायता देगा।
मानव तस्करी कानून की जरूरत क्यों?
- मानव तस्करी बुनियादी मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला तीसरा सबसे बड़ा संगठित अपराध है। इस अपराध से निपटने के लिए अभी तक कोई विशेष कानून नहीं है। इसको देखते हुए व्यक्तियों की तस्करी (रोकथाम, सुरक्षा तथा पुनर्वास) विधेयक, 2018 तैयार किया गया है। यह विधेयक अत्यंत कमजोर व्यक्तियों, विशेषकर महिला एवं बच्चों को, प्रभावित करने वाले घृणित और अदृश्य अपराधों से निपटने का समाधान प्रदान करता है।
- नया कानून भारत की तस्करी से मुकाबला करने में दक्षिण एशियाई देशों का नेतृत्वकर्ता बनाएगा।
- तस्करी एक वैश्विक चिंता है और इससे अनेक दक्षिण एशियाई देश प्रभावित हैं। इन देशों में भारत व्यापक विधेयक तैयार करने वाला अग्रणी देश है।
- यूएनओडीसी तथा सार्क देश भारत की ओर नेतृत्व के लिए देख रहे हैं। यह विधेयक मंत्रालयों, विभागों, राज्य सरकारों, स्वयंसेवी संगठनों तथा इस क्षेत्र के विशेषज्ञों से परामर्श करके तैयार किया गया है।