- आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने उच्च शिक्षा वित्त एजेंसी-एचईएफए (Higher Education Financing Agency: HEFA) के कार्य क्षेत्र में विस्तार के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। वित्त एजेंसी की पूंजी आधार को बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये कर दिया गया है और इसे 2022 तक शिक्षा में अवसंरचना और प्रणालियों को मज़बूत (Revitalizing Infrastructure and Systems in Education: RISE) करने के लिए 1,00,000 करोड़ रुपये की निधि निर्माण करने का निर्देश दिया गया है।
- इस सुविधा का सभी संस्थानों तक विस्तार देने के लिए, खासकर ऐसे संस्थान जिनकी स्थापना 2014 के बाद हुई, केन्द्रीय विश्वविद्यालय जिनके पास बहुत कम आंतरिक संसाधन हैं और स्कूली शिक्षा/स्वास्थय शिक्षा अवसंरचना जैसे एम्स, केन्द्रीय विद्यालय आदि के संदर्भ में सीसीईए ने एचईएफए के अंतर्गत निम्न पांच योग्यताओं तथा मूलधन के मुख्य अंश के पुनर्भुगतान की प्रक्रियाओं को मंजूरी दी है। (इन सभी मामलों में सरकारी अनुदान के माध्यम से ब्याज का लगातार भुगतान किया जाएगा)।
- 10 साल से अधिक पुराने तकनीकी संस्थान : संपूर्ण मूलधन का पुनर्भुगतान आंतरिक रूप से संग्रह किए गये बजट संसाधनों के द्वारा।
- 2008 और 2014 के बीच शुरू किए गये तकनीकी संस्थान : मूलधन की 25 प्रतिशत राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संसाधनों द्वारा तथा मूलधन की शेष राशि के लिए अनुदान प्राप्त करें।
- 2014 के पहले शुरू किए गये केन्द्रीय विश्ववि़द्यालय : मूलधन की 10 प्रतिशत राशि का पुनर्भुगतान आंतरिक संसाधनों द्वारा तथा मूलधन की शेष राशि के लिए अनुदान प्राप्त करें।
- नये स्थापित संस्थान (2014 के बाद प्रारंभ) : स्थायी कैम्पस के निर्माण के लिए वित्तीय सहायता मूलधन और ब्याज के भुगतान के लिए अनुदान उपलब्ध कराया जाएगा।
- अन्य शैक्षणिक संस्थान तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के वित्तीय सहायता प्राप्त संस्थान : सभी नये स्थापित एम्स और अन्य स्वास्थ्य संस्थानों, केन्द्रीय वि़द्यालय/नवोदय विद्यालयों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करायी जाएगी और संबंधित विभाग/मंत्रालय संस्थान को पर्याप्त अनुदान के माध्यम से मूलधन और ब्याज के भुगतान के लिए प्रतिबद्ध होंगे।
- मंत्रिमंडल ने एचईएफए को अगले चार वर्षों के दौरान (2022 तक) 1,00,000 करोड़ रुपये की धनराशि निर्माण करने स्वीकृति दी है। सीसीईए ने एचईएफए की प्राधिकृत पूंजी को बढ़ाकर 10,000 करोड़ रुपये करने तथा 5,000 करोड़ रुपये की धनराशि देकर सरकारी हिस्सेदारी को बढ़ाने को भी मंजूरी दी है।
- सीसीईए ने सरकारी बाण्ड के जरिए धनराशि संग्रह करने की प्रक्रियाओं को भी मंजूरी दी है। वाणिज्यिक रूप से धन संग्रह करने की प्रक्रिया के संबंध में आर्थिक मामलों के विभाग के साथ परामर्श किया जाएगा ताकि धनराशि संग्रह कम से कम लागत पर हो सके।
- इसके माध्यम से शैक्षणिक संस्थानों की आवश्यकताओं को समावेशी तरीके से पूरा किया जाएगा।
- इसके माध्यम से एचईएफए बाजार से अतिरिक्त संसाधन जुटा सकेगा और इसका उपयोग संस्थानों की आवश्यकताओं को वित्तीय सहायता देने के लिए किया जाएगा। बाण्ड से जुड़े जोखिम को सरकारी गारंटी के माध्यम से दूर किया जाएगा। इस प्रकार एक प्रमुख राष्ट्रीय गतिविधि के लिए निवेश आकर्षित किया जा सकेगा।
एचईएफए
- केन्द्र सरकार ने 31मई, 2017 को एचईएफए (Higher Education Financing Agency: HEFA) की स्थापना की। यह एक गैर-लाभकारी, गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (एनबीएफसी) है, जो केन्द्र सरकार के अंतर्गत उच्च शिक्षा संस्थानों के अवसंरचना विकास के लिए गैर-बजटीय संसाधन जुटाता है। वर्तमान व्यवस्था के अंतर्गत पूरे मूलधन का पुनर्भुगतान संस्थान के द्वारा 10 वर्षों की अवधि में किया जाता है। ब्याज के हिस्से का भुगतान सरकार द्वारा उपलब्ध कराये गये अतिरिक्त अनुदान के माध्यम से किया जाएगा। अब तक एचईएफए ने 2016 करोड़ रुपये मूल्य के वित्त प्रस्तावों को मंजूरी दी है।