केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने २१ मार्च 2018 को सरोगेसी (नियमन) विधेयक, 2016 में सरकारी संशोधन (Official amendments in the “Surrogacy (Regulation) Bill, 2016 ) लाने के लिए स्वीकृति दे दी।
प्रमुख विशेषताएं
- सरोगेसी (नियमन) विधेयक, 2016 में भारत में राष्ट्रीय स्तर पर राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड तथा राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों में राज्य सरोगेसी बोर्ड तथा उचित प्राधिकरण स्थापित करके सरोगेसी को नियमों के दायरे में लाने का प्रस्ताव है।
- प्रस्तावित विधेयक सरोगेसी का कारगर नियमन, वाणिज्यिक सरोगेसी निषेध तथा प्रजनन क्षमता से वंचित भारतीय दंपत्तियों को परोपकारी सरोगसी की अनुमति सुनिश्चित करता है।
- विधेयक संसद द्वारा पारित होने के बाद राष्ट्रीय सरोगेसी बोर्ड का गठन किया जाएगा।
- केन्द्र सरकार द्वारा अधिसूचना जारी किए जाने के तीन महीने के भीतर राज्य और केन्द्रशासित प्रदेश राज्य सरोगेसी बोर्ड और राज्य का उचित प्राधिकरण गठित करेंगे।
क्या होगा प्रभाव?
- प्रभावी होने पर अधिनियम देश में सरोगेसी (किराए की कोख) सेवाओं का नियमन करेगा और सरोगेसी में अनैतिक व्यवहारों को नियंत्रित करेगा, किराए की कोख का वाणिज्यिकीकरण रोकेगा और सरोगेसी से बनने वाली माताएं और सरोगेसी से पैदा होने वाले बच्चों का संभावित शोषण रोकेगा। वाणिज्यिक सरोगेसी निषेध में मानव भ्रूण तथा युग्मक की खरीद और बिक्री शामिल हैं। प्रजनन क्षमता से वंचित दंपत्ति की आवश्यकता को पूरा करने के लिए निश्चित शर्तों को पूरा करने पर और विशेष उद्देश्यों के लिए नैतिक सरोगेसी की अनुमति दी जाएगी।
- नैतिक सरोगेसी सुविधा के इच्छुक प्रजनन क्षमता से वंचित विवाहित दंपत्तियों को लाभ होगा। इसके अतिरिक्त सरोगेसी से माता बनने वाली महिलाओं और सरोगेसी से जन्म लेने वाले बच्चों के अधिकारों की रक्षा की जाएगी।
- यह विधेयक जम्मू और कश्मीर राज्य को छोड़कर पूरे भारत में लागू होगा।
जरुरत क्यों?
- विभिन्न देशों से दंपत्ति भारत आते हैं और भारत सरोगेसी केन्द्र के रूप में उभरा है। लेकिन अनैतिक व्यवहारों, सरोगेसी प्रक्रिया से माता बनने वाली महिलाओं का शोषण,सरोगेसी प्रक्रिया से जन्म लेने वाले बच्चों का परित्याग और मानव भ्रूण तथा युग्मक लेने में बिचौलियों की धोखाधड़ी की घटनाएं चिंताजनक हैं। भारत के विधि आयोग की 228 वीं रिपोर्ट में वाणिज्यिक सरोगेसी के निषेध और उचित विधायी कार्य द्वारा नैतिक परोपकारी सरोगेसी की अनुमति की सिफारिश की गई है।
- सरोगेसी (नियमन) विधेयक 21 नवंबर, 2016 को लोकसभा में पेश किया गया जिसे 12 जनवरी, 2017 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की संसद की स्थायी समिति को भेजा गया।