- केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 4 जुलाई, 2018 को औद्योगिक नीति व संवर्द्धन विभाग, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के विपो कॉपी राइट संधि तथा विपो प्रदर्शन व फोनोग्राम संधि के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
- इन संधियों के अंतर्गत इंटरनेट और डिजिटल कॉपी राइट भी शामिल हैं। 12 मई, 2016 को सरकार द्वारा लागू राष्ट्रीय बौद्धिक संपदा कानून (आईपीआर) में उल्लिखित उद्देश्य की दिशा में यह मंजूरी एक महत्त्वपूर्ण कमद है।
- इसका उद्देश्य वाणिज्यिक उपयोग के जरिए आईपीआर का मूल्य प्राप्त करना है। इसके लिए ईपीआर के मालिकों को इंटरनेट और मोबाइल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध अवसरों के संबंध में दिशा-निर्देश व सहायता प्रदान की जाती है।
ये संधियां निम्न तरीकों से भारत की मदद करेंगी:-
- अंतर-राष्ट्रीय कॉपी राइट प्रणाली के जरिए रचनात्मक अधिकार धारकों को उनके श्रम का मूल्य प्राप्त होगा। रचनात्मक कार्यों के उत्पादन और उनके वितरण में किए जाने वाले निवेश पर लाभ प्राप्त होगा।
- घरेलू कॉपी राइट धारकों को अंतर-राष्ट्रीय कॉपी राइट की सुरक्षा सुविधा मिलेगी। दूसरे देशों में प्रतिस्पर्धा में समान अवसर प्राप्त होगा, क्योंकि भारत विदेशी कॉपी राइट को मान्यता देता है।
- डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रचनात्मक उत्पादों के निर्माण और वितरण में किए जाने वाले निवेश पर लाभ प्राप्त होगा और इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा।
- व्यापार में वृद्धि होगी और एक रचना आधारित अर्थव्यवस्था तथा एक सांस्कृतिक परिदृश्य का विकास होगा।
कॉपी राइट अधिनियम- 1957
- मार्च, 2016 में कॉपी राइट अधिनियम-1957 को (Copyright Act 1957) डीआईपीपी को स्थांतरित कर दिया गया। इसके पश्चात् कॉपी राइट अधिनियम-1957 की डब्ल्यूसीटी और डब्ल्यूपीपीटी के प्रति संगतता विषय पर अध्ययन किया गया। विपो के साथ एक संयुक्त अध्ययन भी किया गया।
- 2012 में कॉपी राइट अधिनियम-1957 में संशोधन किया गया ताकि इसे डब्ल्यूसीटी और डब्ल्यूपीपीटी के अनुरूप बनाया जा सके। इसकी परिभाषा में भी संशोधन किया गया। जन संचार की परिभाषा में डिजिटल प्लेटफॅार्म को भी शामिल किया गया (खण्ड -2 एफएफ), सुरक्षा के उपाय (खण्ड -65ए), अधिकार प्रबंधन जानकारी (खण्ड -65 बी), कलाकारों के नैतिक अधिकार (खण्ड -38बी), कलाकारों के विशेष अधिकार (खण्ड -38ए), इलेक्ट्रानिक माध्यमों में सुरक्षित उपस्थ्िाति के प्रावधान (खण्ड -52-1-बी-सी)।
- विपो कॉपी राइट संधि 6 मार्च, 2002 में लागू हुई थी। 96 पक्षों ने इसे अपनाया है। बर्न सम्मेलन में एक विशेष समझौते के जरिए साहित्यिक और कलात्मक रचनाओं को सुरक्षा दी गयी है। इसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर भी कॉपी राइट सुरक्षा पर आधारित प्रावधान शामिल हैं।
विपो प्रदर्शन और फोनोग्राम संधि
- विपो प्रदर्शन और फोनोग्राम संधि (WIPO Performances and Phonograms Treaty) 20 मई, 2002 को लागू हुई थी और इसके 96 सदस्य हैं। डब्ल्यूपीपीटी दो प्रकार के कॉपी राइट अधिकारों की रक्षा करता है- क) कलाकार (प्रदर्शन करने वाले गायक, संगीतकार आदि) ख) ध्वनि रिकार्ड करने प्रोड्यूसर। यह कलाकारों को विशेष आर्थिक अधिकार देता है।
- दोनों ही संधियां रचनाकारों को तकनीकी सुविधाओं का उपयोग करते हुए रचनाओं को सुरक्षित रखने के लिए फ्रेम वर्क उपलब्ध कराता है। रचनाओं का उपयोग करने से संबंधी जानकारियों को सुरक्षित रखता है। तकनीकी सुरक्षा उपायों की सुरक्षा (टीपीएम) और अधिकार प्रबंधन जानकारी (आरएमआई)।