- मध्य प्रदेश के झाबुआ, धार व पश्चिमी निमाड़ में होली के अवसर पर भगोरिया मेला का आयोजन होता है।
- यह मेला भील व भिलाला आदिवासियों का है।
- दरअसल इस मेला में आदिवासी पुरुष-महिलाएं अपना जीवनसाथी चुनते हैं।
- आदिवासी लड़कियां सज-धजकर आती हैं। आदिवासी लड़के जिस लड़की को पंसद करता है उसके चेहर पर गुलाल लगाता है। यदि लड़की को भी वह लड़का पंसद होता है तो वह उस लड़के के चेहरे पर वापस गुलाल लगती है। इस तरह जीवनसाथी का चुनाव किया जाता है।
- इस तरह चुनी गयी जोड़ी एक-दूसरे को पान खिलाते हैं और कुछ दिनों के लिए कहीं चले जाते हैं।
- जब इनके परिवार इन्हें गुम पाते हैं तो वे ‘जति’ नामक पंचायत में शिकायत करते हैं और अंत में पंचायत ही इस संबंध पर मूहर लगाता है और लड़की का मूल्य तय करता है।
- लड़के जो मूल्य लड़कियों के बदले चुकाते हैं उसे ‘बापा’ कहा जाता है।
- इस वर्ष के मेला में जोड़ी बनाने वाली बनाने वाली विश्व प्रसिद्ध मोबाइल ऐप ‘टिंडर’ ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी है।