- एक मार्च 2018 को 42वें सिविल लेखा दिवस (42nd Civil Accounts Day) मनाया गया। मुख्य आयोजन दिल्ली के विज्ञान दिवस में हुआ जहां केंद्रीय वित्त मंत्री ने सिविल लेखा दिवस का उद्घाटन किया।
- इस अवसर पर वित्त मंत्री श्री जेटली ने सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के लिए पीएफएमएस के केंद्रीयकृत जीपी फंड मोड्यूल तथा पेंशन मामलों की शुरू से आखिर तक पूरी इलैक्ट्रोनिक प्रक्रिया के लिए पीएफएमएस के ईपीपीओ मोड्यूल का उद्घाटन भी किया।
- केंद्रीयकृत जीपीएफ मोड्यूल से केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की अद्वितीय कर्मचारी पहचान (आईडी) से जीपीएफ खाते तैयार करने की लंबे समय से की जा रही मांग पूरी हुई है जिससे जीपीएफ अग्रिम तथा निकासी के ऑनलाइन आवेदन तथा कर्मचारी के चालू जीपीएफ देय की ऑनलाइन जानकारी की सुविधा हो पाई है। इस मोड्यूल से जीपीएफ लेखों तथा देयों का अन्तरण सुचारू हो जाएगा। फिलहाल ईपीपीओ में पेंशन तथा पेंशनभोगी कल्याण विभाग की भविष्य एप्लीकेशन तथा पेंशन की समेकित प्रक्रिया हेतु पीएफएमएस के साथ सीपीएओ की पारस एप्लीकेशन शामिल हैं जिससे हाथ से किए जाने वाले काम में होने वाले विलंब तथा गलतियों से छुटकारा मिलेगा।
क्या है सिविल लेखा दिवस?
- केंद्र सरकार ने 1976 में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन में बहुत बड़े सुधार की पहल की। नियंत्रक तथा महालेखा परीक्षक को केंद्र सरकार के लेखें तैयार करने की जिम्मेदारी से मुक्त करने के लिए लेखा परीक्षा तथा लेखा कार्य अलग कर दिए गए।
- लेखा कार्य सीधे कार्यकारी के नियंत्रणाधीन लाया गया। परिणामस्वरूप, भारतीय सिविल लेखा सेवा (आईसीएएस) की स्थापना की गई।
- आईसीएएस का गठन भारतीय लेखा परीक्षा तथा लेखा सेवा (आईए तथा एएस) में से प्रारम्भ में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कर्तव्य, शक्तियां तथा सेवा शर्तें) संशोधन अधिनियम, 1976 में संशोधन के लिए अध्यादेश जारी करके किया गया। बाद में, संसद द्वारा संघीय लेखा विभागीकरण (कार्मिक स्थानांतरण) अधिनियम, 1976 पारित किया गया और 8 अप्रैल, 1976 को भारत के माननीय राष्ट्रपति जी ने इसको अपनी स्वीकृति प्रदान की।
- अधिनियम 01 मार्च, 1976 से लागू माना गया। इसलिए आईसीएएस प्रति वर्ष 1 मार्च को ‘सिविल लेखा दिवस’ के रूप में मनाता है।