क्याः 18वें एससीओ बैठक
कहांः किंगडाओ
कबः 9-10 जून, 2018
- चीन के तटीय शहर किंगडाओ में 18वें शंघाई सहयाोग संगठन की 18वीं बैठक आयोजित हुई।
- बैठक के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मामून हुसैन से भी हाथ मिलाया। प्रधानमंत्री ने बैठक के दौरान क्षेत्रीय कनेक्टिविटी की प्रशंसा की परंतु इस क्रम में क्षेत्रीय अखंडता एवं संप्रभूता का सम्मान करने का भी आह्वान किया। उनका इशारा चीन की वन वेल्ट वन रोड परियोजना की ओर था। प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि कनेक्टिविटी का मतलब केवल भौतिक कनेक्टिविटी ही नहीं होनी चाहिए बल्कि मानवीय पहलुओं को भी महत्ता दी जानी चाहिए।
- प्रधानमंत्री ने ‘सेक्युर’ (SECURE) शब्दावली का भी प्रयोग किया। इसका मतलब है; नागरिकों के लिए सुरक्षा (Security), आर्थिक विकास (Economic), क्षेत्र में कनेक्टिविटी (Connectivity), यूनिटी (Unity), संप्रभूता एवं अखंडता का सम्मान (R’ for respect of sovereignty and integrity), पर्यावरणीय सुरक्षा (‘E’ for environment protection)।
किंगडाओ घोषणापत्र
- 18वें शंघाई सहयोग संगठन बैठक की समाप्ति पर 10 जून, 2018 को ‘किंगडाओ घोषणापत्र’ जारी किया गया। इसकी प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं;
- दीर्घकालिक अच्छे पड़ोसी, मित्रता एवं सहयोग पर पर प्रतिबद्धता
- अगले तीन वर्षों में आतंकवाद, अलगाववाद एवं उग्रवाद नामक तीन बुराइयों का संयुक्त रूप से सामना करने की प्रतिबद्धता,
- संयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में एकीकृत वैश्विक आतंकवाद मंच का आह्वान
- युवाओं को उग्रवाद के प्रति आकर्षित नहीं होने का आह्वान
- आतंकवाद या उग्रवाद उन्मूलन के नाम पर किसी दूसरे देश के आंतरिक मामले में हस्तक्षेप नहीं करने के प्रति प्रतिबद्धता
चीन के साथ समझौता
- प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा के क्रम में भारत और चीन के साथ दो समझौतों पर भी हस्ताक्षर हुए। ये निम्नलिखित हैं:
- 1. ब्रह्मपुत्र नदी के जल पर सूचना साझा करना (डोकलाम विवाद के समय चीन ने सूचना साझा करना बंद कर दिया था) और
- 2. चीन को गैर-बासमती चावल का निर्यातः इसके लिए वर्ष 2006 के फाइटोसैनिटरी आवश्यकता से संबंधित प्रोटोकॉल में संशोधन किया गया है और इसमें चीन को गैर-बासमती चावल के निर्यात की भी व्यवस्था की गई है। इस कदम से चीन के साथ भारत के व्यापार घाटे को कम करने में मदद मिलेगी। ज्ञातव्य है कि चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा 51 अरब डॉलर है (2016-17)।
शंघाई सहयोग संगठन के बारे में
- शंघाई सहयोग संगठन एक स्थायी अंतरराष्ट्रीय अंतर-सरकारी संगठन है।
- इसकी स्थापना की घोषणा 15 जून, 2001 को चीनी शहर शंघाई में हुई। तत्समय इसके पांच सदस्य थेः रूस, चीन, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान किरगिज गणराज्य और उज्बेकिस्तान। इसने शंघाई-पांच का स्थान लिया।
- इसके चार्टर पर जून 2002 में संत पीटर्सबर्ग में हस्ताक्षर हुआ और यह 19 सितंबर, 2003 को यह लागू हुआ।
- जून 2017 में अस्ताना सम्मेलन के दौरान भारत और पाकिस्तान को इस संगठन की पूर्ण सदस्यता प्रदान की गई।
- इस संगठन के दो स्थायी निकाय हैं; बीजिंग स्थित सचिवालय एवं ताशकंत स्थित क्षेत्रीय आंतकवाद-रोधी संरचना (रिजनल एंटी टेररिस्ट स्ट्रक्चर-आरएटीएस)।
- वर्तमान में इसके आठ सदस्य हैं; रूस, चीन, कजाखस्तान, ताजिकिस्तान किरगिज गणराज्य, उज्बेकिस्तान, भारत एवं पाकिस्तान।
- इसकी पहली बैठक 14 जून, 2001 में शंघाई (चीन) में हुयी थी।