घटनाक्रमः केंद्र सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में 16 जनवरी, 2018 को हज के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को समाप्त करने की घोषणा की।
सरकार का पक्षः मुस्लिम हज यात्रियों को दी जाने वाली सब्सिडी समाप्त करने का संबंध न तो राजकोषीय स्थिति से है न ही राजनीति से प्रेरित, बल्कि इसे सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय के आलोक में समाप्त की गई है। मौजूदा एनडीए सरकार का यह भी मानना है कि इससे पूर्व तक इस सब्सिडी को मुस्लिम तुष्टिकरण के तहत जारी रखा गया था।
सर्वोच्च न्यायालय का निर्णयः न्यायमूर्ति रंजना देसाई व न्यायमूर्ति आफताब आलम की दो सदस्यीय सर्वोच्च न्यायालय खंडपपीठ ने 8 मई, 2012 को कुरान का हवाला देते हुये हज यात्र के लिए दी जाने वाली सब्सिडी को गलत ठहराया था और इसे 10 वर्षों में यानी वर्ष 2022 तक चरणबद्ध ढंग से समाप्ति का आदेश दिया था। न्यायालय ने यह भी कहा था कि वर्ष 2011 में दी गयी 685 करोड़ रुपये की सब्सिडी अधिकतम थी और इससे अधिक नहीं हो सकती।
अफजल अमानुल्लाह कमेटीः अफजल अमानुल्लाह कमेटी ने भी अक्टूबर 2017 में सौपी अपनी रिपोर्ट में हज सब्सिडी को चरणबद्ध तरीके से समाप्ति की सिफारिश की थी।
क्या है हज सब्सिडीः वैसे हज सब्सिडी ब्रिटिश आौपनिवेशिक काल से जारी रही है जिसे हज एक्ट 1959 के द्वारा विस्तृत किया गया। वैसे हज सब्सिडी प्रतिवर्ष कम हो रही है। वर्ष 2011 में यह 685 करोड़ रुपये थी जो वर्ष 2017 में महज 200 करोड़ रुपये रह गयी थी। हज सब्सिडी मक्का जाने वाले केवल उन्हीं हजियों को दी जाती रही है जो हज कमेटी के माध्यम से जाते रहे हैं। दरअसल तत्कालीन यूपीए सरकार का तर्क था कि सउदी अरब के नियमों के तहत हजियों को ले जानी वाली एयरलाइंस को उधर से खाली आना होता है और इसी कारण वे इन यात्रियों से अधिक किराया वसूलती है। किराया के अलावा हज यात्रियों के लॉिजिस्टिक पर जो खर्च होता है जो कि प्रति यात्री 38,000 रुपये बैठता है, सरकार सब्सिडी के रूप में प्रदान करती है। सरकार हज पर लागत को कम करने के लिए वैकल्पिक उपाय तलाशती रही है। इसी क्रम में जेद्दा के लिए समुद्री मार्ग खोला गया जिसे वर्ष 1995 में बंद कर दिया गया। अब फिर से सऊदी सरकार से बात की जा रही है। इसके अलावा अन्य जगहों से हवाई जहाज पकड़ने से भी यात्र किराया में कमी आ सकती है।
हज कोटाः प्रतिवर्ष हज यात्र के लिए जाने वाले लोगों की संख्या सउदी अरब द्वारा निर्धारित की जाती है जिसे हज कोटा कहते हैं। भारत का कोटा प्रतिवर्ष बढ़ रहा है जो भारत के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। अभी भारत का कोटा 1,75,000 है। हाल ही में भारत सरकार ने 45 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं को चार महिलाओं के समूह में बिना पुरुष हजी (मेहराम) के जाने की अनुमति दी है। इस बार ऐसी 1300 महिलाएं हज के लिए जाएंगी।
सब्सिडी का पैसा अल्पसंख्यकों के शिक्षा पर खर्चः केंद्र सरकार का कहना है कि हज सब्सिडी से बचत पैसों का इस्तेमाल अल्पसंख्यकों की शिक्षा में किया जाएगा।