कच्छ का रण, गुजरात में स्थित हड़प्पा कालीन स्थल धोलावीरा (Dholavira) से संबंधित भारतीय नामांकन को यूनेस्को ने विश्व धरोहर स्थल (UNESCO’s World Heritage) की सूची में शामिल किया है।
- इस सफल नामांकन के साथ भारत के पास कुल मिलाकर 40 विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें 32 सांस्कृतिक, 7 प्राकृतिक और एक मिश्रित संपत्ति हैं।
- केंद्रीय संस्कृति मंत्री उन देशों का भी उल्लेख किया जिनके पास 40 या इससे अधिक विश्व धरोहर स्थल हैं। इनमें भारत के अलावा अब इटली, स्पेन, जर्मनी, चीन व फ्रांस शामिल हैं।
धोलावीरा के बारे में (About Dholavira)
- हड़प्पाकालीन नगर धोलावीरा दक्षिण एशिया में संरक्षित प्रमुख नगर जीवन स्थलों में एक है और जिसका इतिहास तीसरी शताब्दी ईसा-पूर्व से लेकर दूसरी शताब्दी ईसा-पूर्व के मध्य तक का है।
- हड़प्पा संस्कृति का यह शहर, दरअसल दक्षिण एशिया में तीसरी से मध्य-दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व काल की चंद सबसे अच्छे से संरक्षित प्राचीन शहरी बस्तियों में से है। अब तक खोजे गए 1,000 से अधिक हड़प्पा स्थलों में छठा सबसे बड़ा धोलावीरा 1,500 से अधिक वर्षों तक मौजूद रहा।
- इस पुरातात्विक स्थल के दो भाग हैं: एक दीवार युक्त शहर और दूसरा, शहर के पश्चिम में एक अंत्येष्टि स्थल। चारदीवारी वाले इस शहर में एक प्राचीर युक्त किला है जिसके साथ प्राचीर वाला अहाता और पूजा-अर्चना का मैदान, और एक सुरक्षित मध्य शहर तथा एक निम्न शहर है। इस किले के पूर्व और दक्षिण में जलाशयों की एक श्रृंखला पाई जाती है।
- जल संचयन प्रणालियों, जल निकासी प्रणालियों के साथ-साथ वास्तुशिल्प एवं तकनीकी रूप से विकसित सुविधाओं में नजर आने वाली उत्कृष्ट तकनीकी प्रगति स्थानीय सामग्री के डिजाइन, कार्यान्वयन और प्रभावकारी उपयोग में स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है।
- धोलावीरा दरअसल हड़प्पा सभ्यता (शुरुआती, परिपक्व और इसके बाद के हड़प्पा दौर वाले) से संबंधित एक आद्य-ऐतिहासिक कांस्य युग वाली शहरी बस्ती का एक उत्कृष्ट उदाहरण है और वहां तीसरी और दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व के दौरान एक बहु-सांस्कृतिक एवं वर्गीकृत समाज होने के अनेक प्रमाण या साक्ष्य मिलते हैं।
- पानी की उपलब्ध हर बूंद को इकट्ठा करने के लिए डिज़ाइन की गई विस्तृत जल प्रबंधन प्रणाली लोगों की तेज़ भू-जलवायु परिवर्तनों के मुकाबले जीवित रहने की सरलता को दर्शाती है।