- एशिया के सबसे बड़ा खारा पानी का लैगून ओडिशा के चिल्का झील में 3 जनवरी, 2017 को बॉम्बे नेचुरल हिस्ट्री के पक्षीविज्ञानियों सहित वन्यजीव संगठनों के विशेषज्ञों ने पक्षियों की वार्षिक गणना (Annual census) का कार्य संपन्न किया।
- इस वार्षिक गणना के मुताबिक इस वर्ष 147 प्रजातियों के 893,390 पाये गये। इनमें 320,826 पक्षी नलबाना पक्षी अभ्यारण्य में पाये गये थे।
- वर्ष 2017 में 167 प्रजातियों के 947,119 पक्षी चिल्का झील में पाये गये थे। इनमें 374,756 पक्षी नलबाना पक्षी अभ्यारण्य में पाये गये थे।
- विगत वर्ष के मुकाबले इस वर्ष 5300 कम प्रवासी पक्षियों ने चिल्का का रूख किया।
- वर्ष 2017 के मुकाबले इस वर्ष कम पक्षियों के पाये जाने के पीछे मुख्य कारण मॉनसूनी मौसम अधिक वर्षा के कारण बाढ़ है।
- इस वर्ष पहली बार चिल्का झील में स्थानीय पक्षी ‘रिवर लॉपिंग’ (River Lawping) भी देखा गया।
- ज्ञातव्य है कि चिल्का झील में प्रतिवर्ष शीतकाल में रूस के बैकाल झील, कैस्पियन सागर, अरल सागर के अलावा मंगोलिया, साइबेरिया से बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। यहां शिकार के रूप में छोटी मछलियों के अलावा कीटों की उपस्थिति इन प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है।
चिल्का झील के बारे में
-चिल्का झील ओडिशा में स्थित है। यह एशिया का सबसे बड़ा खारे पानी का लैगून है।
-वर्षा के दिनों में इसका फैलाव 1159 किलोमीटर तक हो जाता है जबकि सूखे के मौसम में यह 906 किलोमीटर तक सीमित हो जाती है।
-इस झील को वर्ष 1981 में रामसर आद्रभूमि का दर्जा प्रदान किया गया था।
-चिल्का झील में स्थित नलबाना को वर्ष 1987 में पक्षी अभ्यारण्य का दर्जा प्रदान किया गया।
-नलबाना, कालिजाल, सोमोलो, हनीमून यहां के प्रमुख द्वीप हैं।
-चिल्का झील में ही कालिजय मंदिर भी स्थित है।