भारतीय निर्यात को मूल्य प्रतिस्पर्धी बनाने के लिए RoDTEP को मंजूरी

आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति ने 13 मार्च 2020 को निर्यात किए गए उत्पादों पर शुल्कों व करों में छूट देने (Scheme for Remission of Duties and Taxes on Exported Products: RoDTEP ) की योजना की शुरूआत करने की मंजूरी दी है।

विशेषताएं

इसके तहत केन्द्रीय, राज्य और स्थानीय स्तर पर करों/शुल्कों/उपकरों की प्रतिपूर्ति के लिए एक व्यवस्था तैयार की जाएगी, जिनकी प्रतिपूर्ति वर्तमान में किसी अन्य योजना के अंतर्गत नहीं की जा रही है, परन्तु जिनका भुगतान निर्यातित उत्पादों की विनिर्माण और वितरण प्रक्रिया के दौरान किया जाता है। इस योजना से घरेलू उद्योग को प्रोत्साहन मिलेगा और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय उत्पादकों को समान अवसर प्राप्त होंगे, ताकि घरेलू करों/शुल्कों का निर्यात नहीं हो।

      योजना के तहत एक अंतर-मंत्रालयी समिति दरों और उत्पादों का निर्धारण करेगी, जिनके लिए करों और शुल्कों में छूट दी जानी है। डिजिटल इंडिया के अनुरूप योजना के तहत प्रतिपूर्ति निर्यातकों को हस्तांतरणीय शुल्क/इलेक्ट्रॉनिक स्क्रिप जारी किए जाएगे, जिन्हें एक इलेक्ट्रॉनिक्स लैजर में दर्ज किया जाएगा। योजना का क्रियान्वयन पूरी तरह से डिजिटल रूप में किया जाएगा।

शुल्क वापसी और आईजीएसटी जैसी योजनाओं के साथ आरओडीटीईपी योजना के अंतर्गत प्रतिपूर्ति ‘जीरो रेटिंग’ (Zero Rating) की ओर एक कदम है। इससे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात उत्पादों की लागत को प्रतिस्पर्धी बनाया जा सकेगा और निर्यात उन्मुख विनिर्माण उद्योग में रोजगार के अवसरों का सृजन होगा।

निर्यात के फ्रैट ऑन बोर्ड (एफओबी) मूल्य के प्रतिशत के रूप में छूट का दावा किया जा सकेगा।

वर्तमान में निर्यातित उत्पादों के निर्माण के लिए आवश्यक इनपुट के लिए जीएसटी करों एवं आयात/सीमा शुल्कों में या तो छूट दी जाती है या इनकी प्रतिपूर्ति की जाती है। हालांकि कुछ कर/शुल्क/उपकर जीएसटी के दायरे में नहीं आते है और इनकी प्रतिपूर्ति निर्यात के लिए नहीं की जाती है जैसे परिवहन में उपयोग किए गए ईंधन पर लगने वाला वैट, मंडी कर, निर्माण के दौरान उपयोग की बिजली पर लगने वाला शुल्क आदि। आरओडीटीईपी के तहत इन्हें प्रतिपूर्ति के दायरे में लाया जाएगा।

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