भारतीय वन अधिनियम 1927 के अधीन पेड़ की परिभाषा से बांस को हटाने के लिए भारतीय वन अधिनियम 1927 संशोधन विधेयक को लोकसभा ने 20 दिसंबर को और राज्यसभा ने 27 दिसंबर, 2017 को पारित कर दिया। इसके माध्यम से अधिनियम की धारा 2(7) में संशोधन किया गया है।
-इससे पूर्व सरकार ने नवंबर 2017 में संशोधन हेतु अध्यादेश जारी किया था।
-संशोधन के पश्चात गैर-वन क्षेत्रें में उगाये गये बांस को गिराना व दूसरे जगह पर भेजने के लिए परमिट लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हालांकि वन क्षेत्रें में बांस, पेड़ की श्रेणी में बना रहेगा।
-इस संशोधन का मुख्य उद्देश्य गैर-वन क्षेत्रें में बांस के उत्पादन को बढ़ावा देना है जिससे वर्ष 2022 तक किसानों की आय को दोगुना किया जा सकता है जो कि प्रधानमंत्री का लक्ष्य है।
-बांस, जो कि एक घास है, अधिनियम की पूर्व व्यवस्था के तहत पेड़ के रूप में परिभाषित किया गया था, जिसे वन एवं गैर-वन क्षेत्रें में गिराना एवं बाहर भेजना अवैध माना गया था।
-पूरे विश्व में बांस की खेती क्षेत्र में भारत का योगदान 19 प्रतिशत है परंतु वैश्विक बाजार हिस्सेदारी महज 6 प्रतिशत है।