- ‘कृषि 2022 – डबलिंग फार्मर्स इनकम’ पर दो दिवसीय कार्यशाला (19-20 फरवरी 2018) का आयोजन नई दिल्ली में हुआ। इसका उद्घाटन केंद्रीय कृषि मंत्री ने की जबकि प्रधानमंत्री ने इसके समापन समारोह का उद्घाटन किया।
- प्रधानमंत्री ने किसानों की आय दोगुनी करने के लिए सरकार द्वारा चार स्तरों पर फोकस करने का उल्लेख किया। ये चार स्तर हैं:
- खेती पर होने वाला उनका खर्च कम हो।
- पैदावार की उचित कीमत मिले।
- खेत से लेकर बाजार तक पहुंचने के बीच फसलों, फलों, सब्जियों की जो बर्बादी होती है, उसे कैसे रोका जाए।
- किसानों की अतिरिक्त आय की व्यवस्था
- केंद्रीय कृषि मंत्री के अनुसार सरकार किसानों की आय बढ़ाने के हर संभव प्रयास कर रही है। यही वजह है कि वर्ष 2018-19 के लिए कृषि एवं किसान कल्याण के बजटीय आवंटन को पिछले वर्ष यानि 2017-18 के 51,576 करोड़ से बढा कर 2018-19 में 58,080 करोड़ करते हुए, सरकार ने किसानों की आय दोगुना करने के लिए निर्धारित ‘सात सूत्रीय’ रणनीति के प्रत्येक सूत्र के लिए प्रचुर धन राशि की उपलब्धता सुनिश्चित की है।
- आम बजट में 2000 करोड़ रुपये के Agri&Market Development Fund की घोषणा की गई है जो कि कृषि विपणन में खुदरा बाजार के महत्व को दर्शाता है। इन बाजारों को GRAM (Gramin Retail Agriculture Market) का नाम दिया गया है। इसके माध्यम से 22,000 ग्रामीण हाट एवं 585 APMC मंडियों की आधारभूत संरचना का विकास हो सकेगा।
- वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने की वृहद योजना को अमली जामा पहनाने का काम सरकार ने अप्रैल 2016 से ही एक समिति के गठन से शुरू कर दिया था। केंद्र सरकार चाहती है कि कृषि नीति एवं कार्यक्रमों को ‘उत्पादन केंद्रित’ के बजाय ‘आय केंद्रित’ बनाया जाए।
- इस महत्वाकांक्षी उद्देश्य की प्राप्ति के लिए सरकार द्वारा प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए ‘बहु-आयामी सात सूत्रीय’ रणनीति को अपनाने पर बल दिया गया, जिसमे शामिल हैं:
- ‘’प्रति बूंद अधिक फसल’’ के सिद्धांत पर पर्याप्त संसाधनों के साथ सिंचाई पर विशेष बल।
- ‘प्रत्येक खेत की मिटटी गुणवत्ता के अनुसार गुणवान बीज एवं पोषक तत्वों का प्रावधान।
- कटाई के बाद फसल नुकसान को रोकने के लिए गोदामों और कोल्डचेन में बड़ा निवेश।
- खाद्य प्रसंस्करण के माध्यम से मूल्य संवर्धन को प्रोत्साहन ।
- राष्ट्रीय कृषि बाजार का क्रियान्वन एवं सभी 585 केन्द्रों पर कमियों को दूर करते हुए ई-प्लेटफार्म की शुरुआत।
- जोिऽम को कम करने के लिए कम कीमत पर फसल बीमा योजना की शुरुआत।
- डेयरी-पशुपालन, मुर्गी-पालन, मधुमक्ऽी दृपालन, मेढ़ पर पेड़, बागवानी व मछली पालन जैसी सहायक गतिविधियों को बढ़ावा देना।