समाचारः केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जेपी नड्डा के अनुसार प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) कार्यक्रम प्रसवपूर्ण जांच के संदर्भ में एक करोड़ के स्तर को पार कर चुका है। प्रधानमंत्री की परिकल्पना यह थी कि 9 महीने की गर्भावस्था के प्रतीक के तौर पर हर महीने की 9 तारीख गर्भवती महिलाओं को समर्पित होना चाहिए। उनके दृष्टिकोण को पूरा करने और देश भर में गर्भवती महिलाओं को व्यापक एवं गुणवत्तापूर्ण प्रसवपूर्व जांच सुनिश्चित करने के लिए पीएमएसएमए कार्यक्रम को 2016 में शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान (पीएमएसएमए) के तहत एक करोड़ से अधिक प्रसवपूर्व जांच की गई और इस महत्वाकांक्षी योजना के तहत हर महीने 9 तारीख को गर्भवती महिलाओं को गुणवत्तायुक्त प्रसवपूर्व जांच की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। यह कार्यक्रम भारत के दुर्गम और दूरदराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में सफल रहा है क्योंकि देश भर में की गई 1 करोड़ से अधिक जांच में से 25 लाख से अधिक जांच उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में आयोजित किए गए। स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अधिक ध्यान देने के लिए पहचान इन जिलों की पहचान की गई है।
सफलता कैसे हासिल हुयीः गौरतलब है कि मन की बात के 31 जुलाई 2016 के एपिसोड में प्रधानमंत्री ने निजी क्षेत्र के डॉक्टरों से आग्रह किया था कि वे साल में 12 दिन इस कार्यक्रम को समर्पित करें और हर महीने की 9 तारीख को पीएमएसएमए के तहत स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान करें। विभिन्न राज्यों एवं केंद्रशासित प्रदेशों में 12,800 से अधिक सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर हर महीने की 9 तारीख को पीएमएसएमए सत्र आयोजित किए जा रहे हैं और इससे गर्भवती महिलाओं को उनके दूसरे और तीसरे तैमासिक के दौरान निर्धारित तिथि को व्यापक एवं गुणवत्तायुक्त प्रसवपूर्ण देखभाल की सुविधा मिल रही है। निजी क्षेत्र के 4,800 से अधिक डॉक्टरों ने पीएमएसएमए के तहत स्वैच्छिक सेवा प्रदान करने का वचन दिया है। छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जैसे उच्च प्राथमिकता वाले जिलों में 385 से अधिक निजी क्षेत्र के स्वयंसेवकों ने सेवाएं प्रदान की हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान इनमें से कई स्वयंसेवकों ने आसपास के सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर 10 बार से अधिक मुफ्त सेवाएं प्रदान की हैं।
प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान: प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान भारत सरकार की एक नई पहल है, जिसके तहत प्रत्येक माह की निश्चित 9 तारीख को सभी गर्भवती महिलाओं को व्यापक और गुणवत्तायुक्त प्रसव पूर्व देखभाल प्रदान करना सुनिश्चित किया गया है। 9 जून, 2016 को शुरू अभियान (पीएमएसएमए) देश में तीन करोड़ से अधिक गर्भवती महिलाओं को प्रसव पूर्व देखभाल की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए शुरू किया गया है। इस अभियान के तहत गर्भवती महिलाओं को सरकारी स्वास्थ्य केंद्रों पर उनकी गर्भावस्था के दूसरी और तीसरी तिमाही की अवधि (गर्भावस्था के 4 महीने के बाद) के दौरान प्रसव पूर्व देखभाल सेवाओं का न्यूनतम पैकेज प्रदान किया जाएगा। इस कार्यक्रम की प्रमुख विशेषता यह हैं कि प्रसव पूर्व जांच सेवाएं ओबीजीवाई विशेषज्ञों/चिकित्सा अधिकारियों द्वारा उपलब्ध करायी जाएगी। निजी क्षेत्र के विशेषज्ञों/चिकित्सकों को हर महीने की नवीं तारीख को उनके जिलों में सरकारी चिकित्सकों के प्रयासों के साथ स्वैच्छिक सेवाएं प्रदान करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा हैं। इस कार्यक्रम की शुरुआत इस आधार पर की गयी है, कि यदि भारत में हर एक गर्भवती महिला का चिकित्सा अधिकारी द्वारा परीक्षण एवं पीएमएसएमए के दौरान उचित तरीकें से कम से कम एक बार जांच की जाएँ तथा इस अभियान का उचित पालन किया जाएँ, तो यह अभियान हमारे देश में होने वाली मातृ मृत्यु की संख्या को कम करने में महत्वपूर्ण एवं निर्णायक भूमिका निभा सकता हैं।