क्या आपको पता है कि पृथ्वी के इतिहास की आधी अवधि में इसका वायुमंडल आक्सीजन शून्य था। आज से 4.5 अरब वर्ष पहले जब पृथ्वी का जन्म हुआ तब यह निर्जन था और कुछ समय पश्चात यहां एक कोशकीय जीवों का जन्म हुआ।
प्रकाशसंश्लेषक जीवन रूपों जिनमें बैक्टीरिया शामिल हैं, ऑक्सीजन जरूर पैदा कर रहे थे पंरतु ज्वालामुखी के माध्यम से पृथ्वी के मैंटल से निकलने वाले हाइड्रोजन व अन्य गैस व तत्व इस ऑक्सीजन को समाप्त कर देता था।
नेचर कम्युनिकेशंस में शिंतारो कादोया के प्रकाशित शोध आलेख में ज्वालामुखी मेंटल से निकले तत्वों एवं पृथ्वी पर जीवन के बीच संबंध को उजागर किया गया है।
चूंकि ऑक्सीजन अधिक प्रतिक्रियाशील गैस है इसलिए यह हाइड्रोजन जैसे गैस से संयुक्त हो गया और वायुमंडल से गायब हो गया।
परंतु एक ऐसा वक्त आया जब ऑक्सीजन को वायुमंडल से गायब करने वाले मेंटल से निकलने वाले गैस कम होते चले गये और ऑक्सीजन आधिक्य होने लगा जो जीवन को आधार प्रदान कर सकता था।
यह महान परिघटना आज से 2.4 अरब वर्ष पहले घटित हुयी जिसे ‘महान ऑक्सीकरण परिघटना’ (Great Oxidation Event) की संज्ञा दी जाती है। इसके बिना पृथ्वी पर ऐसा कोई भी जानवर अस्तित्व में नहीं रहता जो ऑक्सीजन पर निर्भर है-न कोई कीट, न मछली और न हम मानव। इस तरह महान ऑक्सीकरण परिघटना जितना महत्वपूर्ण पृथ्वी की उत्पति है उतना ही महत्वपूर्ण है इसे महत्ता प्रदान करने वाला ऑक्सीजन।
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