विलंब शुल्क अधिभार (Late Payment Surcharge)

विद्युत प्रणाली में वित्तीय बोझ को कम करने के लिए, सभी उत्पादक कंपनियों और पारेषण कंपनियों को विद्युत मंत्रालय द्वारा यह सलाह दी गई है कि पीएफसी और आरईसी के तरलता लिक्विडिटी इन्फ्यूजन स्कीम (Liquidity Infusion Scheme ) के तहत सभी भुगतानों के लिए प्रति वर्ष 12% (साधारण ब्याज) से अधिक दर से विलंब शुल्क अधिभार (Late Payment Surcharge) न लिया जाए। इस तरीके से डिस्कॉम कंपनियों का वित्तीय बोझ कम हो जाएगा।

  • सामान्य तौर पर, विलंब शुल्क अधिभार की लागू दर इस तथ्य के बावजूद काफी अधिक है कि पिछले कुछ वर्षों में देश में ब्याज दरें कम हुई हैं।
  • कई मामलों में एलपीएस की दर प्रति वर्ष 18% के आस-पास तक है और कोविड-19 महामारी के कारण लगाए गए लॉकडाउन के इस कठिन दौर में डिस्कॉम कंपनियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।
  • कोविड-19 महामारी के प्रतिकूल प्रभाव को कम करने के लिए कई उपाय किए गए हैं, जिनमें से एक उपाय विलंब शुल्क अधिभार से भी संबंधित है, जो वितरण कंपनियों द्वारा विलंबित भुगतान के मामले में उत्पादक कंपनियों तथा प्रसारण कंपनियों पर विद्युत की खरीद/प्रसारण के लिए 30 जून 2020 तक लगाया गया है।
  • इससे इस मुश्किल समय के बावजूद विद्युत कंपनियों को सुचारु रूप से बिजली की आपूर्ति और शुल्क को बनाए रखने में उपभोक्ताओं की मदद करेगा।

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