- नेचर जेनेटिक्स में प्रकाशित एक शोध आलेख के अनुसार बेल्जियम के केयू लियुवेन तथा अमेरिका के यूनिवर्सिटी ऑफ पिटसबर्ग, स्टैनफोर्ड व पेन स्टेट उन 15 जीन की पहचान कर ली है जो हमारे चेहरे का परिदृश्य निर्धारित करता है।
- खोज महत्वपूर्ण कैसे है: सामान्यतया एक चिकित्सक खोपड़ी या चेहरे की पुनर्संरचना हेतु सर्जरी करने के लिए, अपराध स्थल से प्राप्त डीएनए के चिह्नों के आधार फॉरेंसिक अधिकारियों द्वारा किसी अपराधी का चेहरा का स्कैच तैयार के लिए तथा इतिहासकार प्राचीन मनुष्यों के चेहरों की बनावट जानने के लिए डीएनए का इस्तेमाल कर सकते हैं। इससे इन सबका काम काफी आसान व सटीक हो जाएगा। परंतु समस्या यह है कि सबसे पहले उन जीन की तो पहचान की जाये जो इन चेहरों के निर्माण के लिए उत्तरदायी होते हैं। नई खोज इस समस्या का समाधान कर देगी।
- वैसे पहले भी वैज्ञानिकों चेहरों की जीन की पहचान किये हैं परंतु उन्हें उसमें आंशिक सफलता ही मिली। आंखों के बीच की दूरी या मुंह की चौड़ाई जैसे कतिपय विशष्टिताओं को आधार पर जीन की पहचान कीगई परंतु तब के परिणाम सीमित रहे केवल कुछ विशिष्टताओं का ही चयन किया गया व उनका परीक्षण किया गा।
- नई खोज में विशिष्ट लक्षणों पर ध्यान नहीं दिया गया। शोधकर्त्ताओं ने विभिन्न चेहरों की 3डी छवियों और इन लोगों के संबंधित डीएनए के साथ एक डेटाबेस का अध्ययन किया। फिर प्रत्येक चेहरे को स्वतः ही छोटे मोडूल्य में विभाजित किया गया था। इसके बाद जांच की गई कि डीएनए में के किसी अवस्थिति से ये मॉडड्ढूल मेल खाती है या नहीं।
- इस तकनीक के सहारे वैज्ञानिक डीएनए में 15 अविस्थिति का पता लगाने में सफल रहे।
- जब गर्भ में चेहरे का विकास होता है तब जीनोमिक लोकी सक्रिय होता है।
- जिन 15 जीनों की पहचान की गई हैं उनमें सात नाक से जुड़े हैं। एक खोपड़ी में नाक का कोई भी अंश नहीं होता है जिसमें केवल मुलायम उत्तक व उपास्थि होते हैं। यही कारण है कि जब कोई फॉरेंसिक विशेषज्ञ खोपड़ी के आधार पर चेहरे का पुनर्निर्माण कर रहा होता है तब नाक बड़ी समस्या के रूप में सामने आती है। यदि खोपड़ी भी नाक की तरह डीएनए उत्पन्न करे तो तब भविष्य में नाक के आकार का निर्धारण भी संभव हो जाएगा।
- वैसे वैज्ञानिकाें का मानना है कि मौजूदा शोध महज आरंभिक कदम है, इस दिशा में और भी शोध करने की जरूरत है।