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- यूएस चैंबर्स ऑफ कॉमर्स के ग्लोबल इनोवेशन पॉलिसी सेंटर (जीपीसी) द्वारा जारी छठे ‘अंतरराष्ट्रीय बौद्धिक संपदा सूचकांक 2018’ (International Intellectual Property (IP) Index) में विश्व के 50 देशों में भारत की रैंकिंग 44वीं है। विगत वर्ष के मुकाबले भारत की रैंकिंग में एक अंक का सुधार हुआ है। इस वर्ष भारत को 30 प्रतिशत अंक (40 में 12.03) प्राप्त हुये हैं।
- विगत वर्ष 45 देशों की सूची में भारत को 43वीं रैंकिंग प्राप्त हुयी थी और उसे 25 प्रतिशत अंक (35 में 8.75) मिले थे।
- भारत को मिले अंकों में जरूर बढ़ोतरी हुयी है परंतु अभी भी रैंकिंग में निम्नतम देशों में शामिल है।
https://www.gstimes.in/hindi-economy-india-jumps-8-places-to-36th-on-international-ip-index/
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- इस सूचकांक में 37.98 अंक के साथ संयुक्त राज्य अमेरिका पहले स्थान पर, 37.97 अंक के साथ इंग्लैंड दूसरे स्थान पर और 37.03 अंक के साथ स्वीडन तीसरे स्थान पर है।
- रिपोर्ट के अनुसार भारत की स्थिति में सुधार जरूर हुआ है, लेकिन अभी उसे लंबी दूरी तय करनी है। कंप्यूटर आधारित अविष्कारों के पेटेंट तथा पंजीयन प्रक्रिया में सुधार के भारतीय प्रयासों की सराहना की गई है। ज्ञातव्य है कि जुलाई 2017 में भारत ने ‘कंप्यूटर संबंधित खोजों की जांच मार्गदर्शिका’ (Guidelines on the Examination of Computer-Related Inventions) जारी किया था जिसकी वजह से भारत में कंप्यूटर से जुड़ी प्रौद्योगिकीय खोजों का पेटेंट कराने का बेहतर माहौत तैयार हुआ।
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- भारत के लिए चिंताः बौद्धिक संपदा के क्षेत्र में भारत की जो सीमाएं हैं, वे हैं_ सीमित लाइफ साइंसेज आईपी, अंतरराष्ट्रीय मानक के बाहर पेटेंटयोग्य आवश्यकताएं, वाणिज्यिक स्थितियों के लिए पूर्व प्रयुक्त अनिवार्य लाइसेंसिंग, अंतरराष्ट्रीय पीपीएच (Patent Prosecution Highway) में कोई भागीदारी नहीं करना, अंतरराष्ट्रीय आईपी संधियों में सीमित भागीदारी इत्यादि।
- यह सूचकांक नए शोध, पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क की सुरक्षा सहित 40 महत्वपूर्ण मानदंडों पर विश्व की 50 अर्थव्यवस्थाओं का आकलन व रैंकिंग तैयार करता है।