- भारत के सबसे बड़े कर्जदार भारतीय स्टेट बैंक को चालू वित्त वर्ष (2017-18) की तीसरी मिहाी में 2,416-37 करोड़ रुपये का घाटा हुआ जो कि जनवरी 1999 के पश्चात बैंक का पहला तिमाही घाटा है। जनवरी 1999 में भारतीय स्टेट बैंक को 115 करोड़ रुपये का घाटा हुआ था।
- विगत वित्तीय वर्ष की इसी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर 2016-17) में बैंक को 2610 करोड़ का लाभ हुआ था। हालांकि विगत वर्ष की तिमाही से इस बार तुलना नहीं की जा सकती क्योंकि अप्रैल 2017 में पांच सब्सिडियरी बैंक का भारतीय स्टेट बैंक में विलय हो गया था।
- भारतीय स्टेट बैंक के घाटा की मुख्य वजह एनपीए में बढ़ोतरी व उच्चतर प्रॉविजनिंग के कारण हुआ।
- भारतीय स्टेट बैंक का प्रॉविजनिंग बोझ बढ़कर 18,876 करोड़ रुपये हो गया। भावी घाटा या कर्ज की दशा से निपटने के लिए बैंकों द्वारा अपने पास रखी गयी धनराशि प्रॉविजनिंग कहलाती है।