वर्ष 2020 का चिकित्सा का नोबल पुरस्कार तीन वैज्ञानिकों हार्वे अल्टर (Harvey J. Alter), चार्ल्स एम राइस (Charles M. Rice) (अमेरिका) तथा माइकल हाउटन (Michael Houghton-UK) को रक्त जनित बीमारी हेपेटाइटिस-सी (Hepatitis C virus: HCV) की खोज के लिए दिया गया।
- हेपेटाइटिस एक वैश्विक स्वास्थ्य समस्या है जो सिरोसिस एवं लीवर कैंसर का कारण बनता है। इन तीनों वैज्ञानिकों की शोध के पश्चात ही 1982 में हेपेटाइटिस वायरस की खोज संभव हो सकी।
- लीवर ज्वलन यानी हेपेटाइटिस मुख्य रूप से वायरस संक्रमण के कारण होता है परंतु अल्कोहल दुव्यर्वहार, पर्यावरणीय विषाक्तता एवं स्वतःप्रतिरक्षी बीमारी भी इसके प्रमुख कारण हैं।
- हेपेटाइटिस सी वायरस की खोज से पहले हेपटाइटिस ए व बी वायरस के बारे में पता था।
- हेपेटाइटिस ए का संक्रमण प्रदूषित जल या भोजन से होता है और मरीजों पर इसका प्रभाव लंबा समय तक रहता है।
- हेपेटाइटिस बी वायरस जिसकी खोज 1960 के दशक में की गई, रक्त संक्रमण से फैलता है। 1976 में इस वायरस की खोज के लिए बारूच ब्लूमबर्ग को चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार दिया गया। बाद में इस वायरस का टीका भी विकसित किया गया। बाद में हेपेटाइटिस बी वायरस की पहचान हेतु डायग्नोटिक टेस्ट भी विकसित किया गया जिससे बिना संक्रमण वाले रक्त देना संभव हो सकेगा।
- हालांकि बाद में पता चला कि सैनिटाइज्ड रक्त भी रक्त जनित हेपेटाइटिस के 20 प्रतिशत मामलों को ही रोकने में सफल हुआ। इसी के पश्चात एक अन्य हेपेटाइटिस वायरस की खोज की प्रक्रिया आरंभ हुयी और 1982 में हेपेटाइटिस-सी नामक एक नया वायरस खोजा सकेगा जिसका इलाज भी अब खोज लिया गया है।