सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की मुख्य विशेषताएं

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 11 दिसंबर को उत्तर प्रदेश के बलरामपुर जिले में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना का उद्घाटन किया। इस परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के नौ जिलों में 14 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि में सिंचाई की सुविधा उपलब्ध होगी।

  • इस परियोजना से 6,200 से अधिक गांवों के लगभग 29 लाख किसानों को लाभ होगा। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना के तहत, पूर्वी उत्तर प्रदेश के पानी की कमी वाले क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा के लिए पांच नदियों- घाघरा, सरयू, राप्ती, बाणगंगा और रोहिणी को आपस में जोड़ा गया है।
  • यह परियोजना 40 वर्षों से अधिक समय से लंबित थी और 2014 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के पदभार ग्रहण करने के बाद से इस पर काम तेज हो गया है।
  • यह परियोजना देश में प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत पूरी होने वाली 99 परियोजनाओं में सबसे बड़ी है। सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना की योजना 1972 में बनाई गई थी और इस पर काम 1978 में शुरू हुआ था, लेकिन बजटीय समर्थन और अंतर-विभागीय समन्वय की कमी के कारण परियोजना ज्यादा प्रगति नहीं कर सकी।
  • इस परियोजना को तब पुनर्जीवित किया गया जब प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत प्राथमिकता के आधार पर पूरी की जाने वाली 99 परियोजनाओं में सरयू नहर राष्ट्रीय परियोजना को शामिल किया।
  • इस परियोजना को उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी नदी जोड़ने वाली परियोजना के रूप में देखा जा रहा है। खेतों में पानी पहुंचाने के लिए सरयू और राप्ती नदी पर दो बैराज बनाए गए हैं।
  • परियोजना बहराइच में सरयू बैराज से शुरू होती है। मुख्य नहर 318 किलोमीटर लंबी है और 6,600 किलोमीटर से अधिक की लंबाई वाली 922 उप-नहरों को इससे जोड़ा गया है। परियोजना से लाभान्वित होने वाले नौ जिले हैं- बहराइच, श्रावस्ती, बलरामपुर, गोंडा, सिद्धार्थनगर, बस्ती, संत कबीर नगर, गोरखपुर और महाराजगंज।

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