आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति ने 4 अगस्त को अपनी बैठक में संशोधित समग्र शिक्षा योजना को 2021-22 से 2025-26 तक पांच वर्षों की अवधि के लिए जारी रखने को अपनी मंजूरी दे दी है।
इसका कुल वित्तीय परिव्यय 2,94,283.04 करोड़ रूपये है जिसमें 1,85,398.32 करोड़ रुपये का केंद्रीय हिस्सा शामिल भी है।
इस योजना में 11 लाख 60 हजार विद्यालय, 15 करोड़60लाख से अधिक छात्र और सरकार एवं सरकार से सहायता प्राप्त विद्यालयों के 57 लाख शिक्षक ((पूर्व-प्राथमिक से वरिष्ठ माध्यमिक स्तर तक) शामिल हैं।
समग्र शिक्षा योजना स्कूली शिक्षा के लिए एक एकीकृत योजना है, जिसमें पूर्व-विद्यालय से लेकर बारहवीं कक्षा तक के सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। यह योजना स्कूली शिक्षा को एक निरंतरता मानती है और यह शिक्षा के लिए सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी -4) के अनुसार है.
यह योजना न केवल शिक्षा के अधिकार (आरटीई)अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए सहायता प्रदान करती है, बल्कि इसको यह सुनिश्चित करने के लिए भी राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 की सिफारिशों के साथजोड़ा गया है कि सभी बच्चों की एक समान और समावेशी कक्षा के माहौल के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच हो और जिसमें उनकी विविध पृष्ठभूमि, बहुभाषी आवश्यकताओं, विभिन्न शैक्षणिक योग्यताओं का भी ध्यान रखा गया हो और जो उन्हें सीखने की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदार भी बनाएं।
इस योजना के तहत प्रस्तावित स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों पर प्रमुख हस्तक्षेप इस प्रकार हैं: (i) बुनियादी ढांचे के विकास और प्रतिधारण सहित सार्वभौमिक पहुंच; (ii) मूलभूत साक्षरता और संख्याज्ञान, (iii) लिंग और समानता; (iv) समावेशी शिक्षा; (v) गुणवत्ता और नवाचार; (vi) शिक्षक वेतन के लिए वित्तीय सहायता; (vii) डिजिटल पहल; (viii) वर्दी, पाठ्यपुस्तक आदि सहित शिक्षा के अधिकार (आरटीई) की पात्रता; (ix) ‘प्रारंभिक बाल्यावस्था देखभाल एवं शिक्षा’ (ईसीसीई) के लिए सहायता; (x) व्यावसायिक शिक्षा; (xi) खेल और शारीरिक शिक्षा; (xii) शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण का सुदृढ़ीकरण; (xiii) निगरानी; (xiv) कार्यक्रम प्रबंधन; और (xv) राष्ट्रीय घटक।
योजना की प्रत्यक्ष पहुंच बढ़ाने के क्रम में, बच्चों पर केंद्रित सभी पहलों का लाभ एक निश्चित समयसीमा के भीतर आईटी आधारित प्लेटफॉर्म पर डीबीटी के माध्यम से सीधे विद्यार्थियों को उपलब्ध कराया जाएगा।