-टी वी वेंकटेश्वरण, विज्ञान प्रसार
(इंडिया साइंस वायर)
शनिवार 17 अप्रैल को सूर्यास्त के समय एक रोचक खगोलीय घटना घटित होगी। इस घटना में मंगल ग्रह अचानक दृष्टि से ओझल हो जाएगा। ओझल होने से पूर्व तक मंगल ग्रह चन्द्रमा के कंधे पर स्पष्ट रूप से चमकता दिखाई देगा और फिर एक झटके में चन्द्रमा के अँधेरे छल्ले में गायब हो जाएगा। इस प्रकार चन्द्रमा के पीछे छुपा मंगल लगभग एक घंटे तक दृष्टि से ओझल रहेगा और फिर प्रकट होगा चन्द्रमा की दूसरी तरफ से।
नेहरू सेंटर तारामंडल मुंबई के निदेशक अरविन्द परांजपे बताते हैं- ” इस घटना में चन्द्रमा मंगल ग्रह को वैसे ही छुपा लेगा जैसे यह सूर्य-ग्रहण के दौरान सूर्य को छुपा लेता है। “
खगोल-विज्ञान के क्षेत्र में ओकालटेसन यानि प्रच्छादन के नाम से जाने जानी वाली चन्द्रमा से किसी गृह मिलने की घटना को भारतीय खगोल परंपरा में ‘समागम’ के रूप में देखा जाता है। मंगल के चन्द्रमा के पीछे छुप जाने के आधार पर भारतीय खगोल-विदों ने प्राचीन काल में यह स्थापित कर दिया था कि चन्द्रमा मंगल की तुलना में धरती के निकट है। चन्द्रमा और ग्रहों तथा विभिन्न ग्रहों के बीच परस्पर प्रच्छादन या समागम की ऐसी ही खगोलीय घटनाओं ने पहले के खगोल-विदों को विभिन्न खगोलीय पिंडों के बीच की दूरी के तुलनात्मक अध्ययन का अवसर प्रदान किया था ।
12 अप्रैल 2021 को अमावस्या थी। 17 अप्रैल आते-आते चन्द्रमा के गोल घेरे का लगभग 18% हिस्सा दिखने लगेगा। इस दिन चन्द्रमा और सूर्य एक दूसरे से लगभग 60 डिग्री के कोण पर होंगे। परांजपे के अनुसार ” हम अस्ताचल-गामी सूर्य और क्रिसेंट मून यानि वर्धमान चन्द्रमा दोनों को पश्चिम के आकाश में एक साथ देख सकेंगे। इसके साथ ही चन्द्रमा के अँधेरे हिस्से के पूर्वी तरफ हम लाल मंगल ग्रह को भी स्पष्ट रूप से देख सकेंगे।”
अंडमान द्वीप समूह सहित भारत के पूरबी हिस्सों में पश्चिमी हिस्सों की तुलना में सूर्यास्त अपेक्षाकृत जल्दी होगा। ऐसे में पूरबी भाग के लोगों के लिए मंगल और चन्द्रमा का यह समागम सूर्यास्त के बाद घटित होता दिखाई देगा। इसको भारत के लिए एक मिश्रित-घटनाक्रम के रूप में देखते हुए अरविन्द परांजपे कहते हैं – ” भारत के पश्चिमी हिस्से में समागम की यह घटना सूर्य के आसमान में दिखाई देते रहने के दौरान ही घटित होती दिखने लगेगी। “
दिल्ली में 17 अप्रैल को संध्या 6 बजे सूर्य पश्चिम के क्षितिज में लगभग 9 डिग्री पर होगा। देखते ही देखते मंगल और चन्द्रमा के बीच की दूरी घटने लगेगी। अंत में ठीक 06:02:07 बजे मंगल ग्रह चन्द्रमा के अँधेरे हिस्से में जाकर हमारी आँखों से ओझल हो जाएगा। मंगल ग्रह को चन्द्रमा के पीछे पूरी तरह छुप जाने में लगभग 9 सेकंड का समय लगेगा। लगभग एक घंटे पश्चात 19:04:10 बजे चन्द्रमा के चमकदार हिस्से की तरफ से दुबारा प्रकट हो जाएगा। मंगल ग्रह के गायब होने और दुबारा प्रकट होने के समय में अलग-अलग स्थानों पर भिन्नता होगी। ” हमने भारत के कुल 124 स्थानों पर इस घटना के समय की सटीक गणना की है जो हमारी वेबसाइट पर उपलब्ध है ” परांजपे ने बताया। विस्तृत विवरण https://astron-soc.in/outreach/activities/sky-event-related/moonmars2021/#info लिंक पर क्लिक करके हासिल किया जा सकता है।
इस मनोहारी खगोलीय घटना को देखने के लिए उपयुक्त स्थान का चयन करना सबसे महत्वपूर्ण है। स्थान ऐसा हो जहां से पश्चिम के क्षितिज को बिना किसी बाधा के स्पष्ट रूप से देखा जा सके। परांजपे के अनुसार हमें अपनी निर्धारित जगह पर शाम 5.30 बजे पहुंचकर पश्चिम के क्षितिज में अपनी आंखें टिका लेनी चाहिए। हालाँकि परांजपे इसे एक दुर्लभ खगोलीय घटना की श्रेणी में नहीं रखते फिर भी इस रोचक खगोलीय घटना के भारत में लगभग 13 वर्ष पहले देखे जाने की बात कहते हुए बताते हैं -” भारत में संध्या समय में मंगल और चन्द्रमा का ऐसा समागम पिछली बार 10 मई 2008 को देखने को मिला था। “