मोहाली में राष्ट्रीय कृषि-खाद्य जैव प्रौद्योगिकी संस्थान (एनएबीआई) में उन्नत 650 टेराफ्लॉप्स सुपरकंप्यूटिंग सुविधा शुरू हो गई है। सुपरकंप्यूटिंग की यह सुविधा टेलीमेडिसिन, डिजिटल हेल्थ, बिग डेटा के साथ एम-हेल्थ, एआई, ब्लॉक चेन और अन्य प्रौद्योगिकियोंके क्षेत्रमें काम कर रहे 75 अभिनव स्टार्ट-अप्स के लिए एक सुविधाप्रदाता के रूप में काम करेगी।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने मंगलवार को इस सुपरकंप्यूटिंग सुविधा का उद्घाटन किया है। यह सुविधा पुणे स्थित सी-डैक की सहभागिता से राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के अंतर्गत स्थापित की गई है।
लगभग 20 करोड़ रुपये की लागत से स्थापित 650 टेराफ्लॉप्स सुपरकंप्यूटिंग सुविधा कृषि व पोषण जैव प्रौद्योगिकी से संबंधित संस्थान में किए जा रहे अंतर्विषयक अत्याधुनिक अनुसंधान की जरूरतों को पूरा करने में मददगार होगी। यह एनएबीआई और नवोन्मेषी एवं अनुप्रयुक्त जैव-प्रसंस्करण केंद्र (सीआईएबी) के वैज्ञानिकों के लिए भी उपलब्ध होगा। इसके अलावा, निकटवर्ती संस्थानों/विश्वविद्यालयों में काम करने वाले वैज्ञानिकों/शिक्षकों व राष्ट्रीय सुपरकंप्यूटिंग मिशन (एनएसएम) के तहत स्वीकृत परियोजनाओं के सहयोग आधारितशोध कार्यों के लिए भी यह सुविधा केंद्र खुला रहेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि यह उच्च स्तरीय सुविधा राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विभिन्न संस्थानों और विश्वविद्यालयों में किए जा रहे बड़े पैमाने पर जीनोमिक्स, कार्यात्मक जीनोमिक्स, संरचनात्मक जीनोमिक्स और जनसंख्या अध्ययन से प्राप्त होने वाले विशाल डेटा के विश्लेषण के लिए वरदान साबित होगी।उन्होंने घोषणा की कि सरकार भारत की आजादी के 75वें वर्ष में 75 अभिनव स्टार्ट-अप्स की पहचान करेगी और उन्हें बढ़ावा देगी। उन्होंने आगे कहा कि अगले 25 वर्षों में देश का नेतृत्व करने के लिए 75 सर्वश्रेष्ठ चुने गए स्टार्ट-अप्स भारत की स्वतंत्रता की शताब्दी के समारोह के दौरान देश की संपत्ति होंगे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने ‘डिजिटल इंडिया’ पहल के तहत दो डिजिटल कार्यशील मंच यानी एनएबीआई-लैबीफाई और एनएबीआई व सीआईएबी में ई-ऑफिस की भी शुरुआत की गई है। एनएबीआई-लैबीफाई एक अनूठा सॉफ्टवेयर है, जो उन निधियों की सीधी निगरानी की सुविधा प्रदान करता है, जो उपकरण की खरीद, उपभोग्य सामग्री, मानव संसाधन, बाहरी परियोजनाओं आदि के लिए मंजूर की गई हैं।
एक अन्य संबंधित कार्यक्रम में डॉ. जितेंद्र सिंह ने मोहाली में आई-राइज, टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर (टीबीआई) का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि यह देश में स्टार्ट-अप्स के लिए विश्व स्तरीय अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करेगा। उन्होंने कहा कि इस टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटर के निर्माण के साथ मोहाली शहर, बेंगलूरू और गुरुग्राम जैसे देश के अन्य स्टार्ट-अप केंद्रों के समूह में शामिल हो जाएगा।
डॉ. सिंह ने उम्मीद व्यक्त की कि टीबीआई के सफल होने के साथ यह यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप बनकर उभरेगा और भारत के यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप की लगातार बढ़ती हुई सूची में शामिल होगा। उन्होंने बताया कि मौजूदा समय में भारत में 51 यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप्स हैं, जो संख्या की दृष्टि से विश्व में तीसरे स्थान पर आता है।डॉ. सिंह ने कहाकि वर्ष 2021 में ही भारत में 10,000 स्टार्ट-अप्स पंजीकृत हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत के पास अब 50,000 से अधिक स्टार्ट-अप्स मौजूद हैं, जो देश में दो लाख से अधिक नौकरियां प्रदान कर रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग व मोहाली स्थित भारतीय विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान संस्थान (आईआईएसईआर) समर्थित, आई-राइज इनक्यूबेटर इस क्षेत्र में नवाचार, ज्ञान और प्रौद्योगिकी अपनाने के माध्यम से स्टार्ट-अपपारिस्थितिक तंत्र में गहरा प्रभाव डालने और इसमें बदलाव लाने के लिए काम करेगा। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी बिजनेस इन्क्यूबेटरों का उद्देश्य नवाचारों की खोज, उनकी सहायता और परिमापन के जरिये स्टार्ट-अप का विकास करना है।
डॉ. सिंह ने बताया कि मोदी सरकार के पिछले सातवर्षों में वैश्विक स्टार्ट-अप पारिस्थितिक तंत्र में भारत लगातार आगे बढ़ रहा है और अब पूरे देश में नवाचार व उद्यमिता की सहायता करने वाले 500 से अधिक इनक्यूबेटर नेटवर्क हैं। उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी आधारित स्टार्ट-अप्स की संख्या के मामले में भारत का स्थान अमेरिका के ठीक बाद है और भारत वैश्विक नवाचार सूचकांक में 46वें पायदान पर पहुँच गया है। (इंडिया साइंस वायर)
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