स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 (SBM-U 2.0) मिशन का एक प्रमुख उद्देश्य लगभग 15,000 एकड़ शहरी भूमि पर मौजूद 16 करोड़ मीट्रिक टन (एमटी) कचरे के पुराने डंपसाइट के उपचार के लिए ‘लक्ष्य जीरो’ (Lakshya Zero) डंपसाइट है।
- विरासती डंपसाइट (legacy waste) पर्यावरण के लिए एक बड़ा खतरा पैदा करते हैं और वे वायु प्रदूषण एवं जल प्रदूषण को बढाते हैं। वर्षों पुराने कचरे के इन पहाड़ों को साफ करना न केवल देश के शहरी परिदृश्य को बदलने के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि सार्वजनिक स्वास्थ्य एवं पर्यावरण संबंधी चिंताओं के मुद्दे को भी निपटाना आवश्यक है।
- आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय ने 28 यूएलबी में 42 लाख मीट्रिक टन से अधिक कचरे के उपचार के लिए आंध्र प्रदेश द्वारा प्रस्तुत 77.66 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। फिलहाल पूरे राज्य में 118 लाख मीट्रिक टन बिना उपचार वाले विरासती कचरे 463 एकड़ से अधिक कीमती भूमि पर मौजूद है।
- आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय की यह मंजूरी आंध्र प्रदेश के लिए विरासत डंपसाइट उपचार के लिए एकमुश्त रकम की सबसे बड़ी स्वीकृति है।
- चित्तूर में आंध्र प्रदेश का सबसे पुराना डंपसाइट है जिसे 1985 में चालू किया गया था। इसके अलावा राज्य के नेल्लोर में काफी मात्रा में कचरा मौजूद है। ये दोनों डंपसाइट मंजूर परियोजना के तहत ‘लक्ष्य जीरो’ हासिल करने के लिए तैयार हैं।
- प्रधानमंत्री ने 2026 तक कचरा मुक्त शहर बनाने के दृष्टिकोण के साथ 1 अक्टूबर, 2021 को स्वच्छ भारत मिशन- शहरी 2.0 (एसबीएम-यू 2.0) को लॉन्च किया था।