राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (National Infrastructure Pipeline: NIP) पर गठित कार्यदल ने 29 अप्रैल 2020 को केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण को वित्त वर्ष 2019-25 के लिए एनआईपी पर अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश की। वित्त वर्ष 2019-2025 के लिए राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन पर गठित कार्यदल की सारांश रिपोर्ट वित्त मंत्री द्वारा 31 दिसंबर, 2019 को पहले ही जारी की जा चुकी है।
केंद्रीय वित्त मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण 2019-20 में घोषणा की थी कि अगले पांच वर्षों में बुनियादी ढांचे यानी अवसंरचना पर 100 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा।
राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन उद्देश्य
‘एनआईपी’ पूरी तरह से सरकार की ओर से अपनी तरह की पहली कवायद है जिसका उद्देश्य देश भर में विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचागत सुविधाएं प्रदान करना और सभी नागरिकों का जीवन स्तर बेहतर करना है। इसका उद्देश्य परियोजना तैयार करने की व्यवस्था को बेहतर बनाना एवं बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में निवेश (घरेलू और विदेशी दोनों) को आकर्षित करना है, और यह वित्त वर्ष 2025 तक भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होगी।
एनआईपी कार्यदल की अंतिम रिपोर्ट
एनआईपी कार्यदल की अंतिम रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2020-25 की अवधि के दौरान 111 लाख करोड़ रुपये के कुल अवसंरचना निवेश का अनुमान लगाया गया है। एनआईपी पर कार्यदल की सारांश रिपोर्ट जारी होने के बाद से लेकर अब तक केंद्रीय मंत्रालयों/राज्य सरकारों द्वारा प्रदान किए गए अतिरिक्त/संशोधित आंकड़ों को ध्यान में रखते हुए ही इस बढ़े हुए अवसंरचना निवेश का अनुमान लगाया गया है।
111 लाख करोड़ रुपये के कुल अपेक्षित पूंजीगत व्यय में से 44 लाख करोड़ रुपये (एनआईपी का 40%) की लागत वाली परियोजनाएं कार्यान्वित की जा रही हैं, 33 लाख करोड़ रुपये (30%) की लागत वाली परियोजनाएं अभी परिकल्पना के स्तर पर हैं और 22 लाख करोड़ रुपये (20%) की लागत वाली परियोजनाएं अभी विकास के चरण में हैं। उधर, 11 लाख करोड़ रुपये (10%) की लागत वाली परियोजनाओं के लिए परियोजना चरण की जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है। विभिन्न सेक्टरों जैसे कि ऊर्जा (24%), सड़कें (18%), शहरी (17%) और रेलवे (12%) का हिस्सा भारत में कुल अनुमानित अवसंरचना निवेश में लगभग 71% है। भारत में एनआईपी को कार्यान्वित करने में केंद्र (39%) एवं राज्यों (40%) की लगभग समान हिस्सेदारी है और इसके बाद निजी क्षेत्र (21%) की हिस्सेदारी है।
कार्यदल ने सिफारिश की है कि निम्नलिखित तीन समितियां स्थापित की जाएं:
- एनआईपी की प्रगति की निगरानी करने और देरी समाप्त करने के लिए एक समिति;
- कार्यान्वयन में सहयोग करने के लिए प्रत्येक अवसंरचना मंत्रालय स्तर पर एक संचालन समिति; और
- एनआईपी हेतु वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए डीईए में एक संचालन समिति।