केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में चिनाब नदी पर स्थित 850 मेगावाट की रतले पनबिजली (Ratle Hydro Electric Project) परियोजना के लिए 5281.94 करोड़ रुपये के निवेश को अपनी मंजूरी दे दी है।
- यह निवेश राष्ट्रीय जल विद्युत निगम (एनएचपीसी) और जम्मू-कश्मीर राज्य विद्युत विकास निगम लिमिटेड (जेकेएसपीडीसी) की क्रमशः 51% और 49% हिस्सेदारी वाली एक नई संयुक्त उद्यम कंपनी (जेवीसी) द्वारा किया जाएगा।
- भारत सरकार भी रतले एचई परियोजना (850 मेगावाट) के निर्माण के लिए गठित की जाने वाली संयुक्त उद्यम कंपनी में जेकेएसपीडीसी के इक्विटी योगदान के लिए 776.44 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान करके केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को आवश्यक सहयोग दे रही है।
- एनएचपीसी अपने आंतरिक संसाधनों से 808.14 करोड़ रुपये की अपनी इक्विटी का निवेश करेगी। रतले पनबिजली परियोजना को 60 माह की अवधि के भीतर चालू किया जाएगा। इस परियोजना से उत्पन्न बिजली दरअसल ग्रिड को संतुलन प्रदान करने में मदद करेगी और इसके साथ ही इससे बिजली आपूर्ति की स्थिति में सुधार होगा।
- परियोजना को व्यवहार्य या लाभप्रद बनाने के लिए केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर की सरकार इस परियोजना के चालू होने के बाद 10 साल तक जल उपयोग शुल्क लगाने से छूट देगी, जीएसटी (यानी एसजीएसटी) में राज्य की हिस्सेदारी की प्रतिपूर्ति करेगी, और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को मिलने वाली मुफ्त बिजली में न्यूनीकरन तरीके से छूट देगी, अर्थात केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर को मिलने वाली मुफ्त बिजली इस परियोजना के चालू होने के बाद पहले साल में 1% होगी और प्रति वर्ष 1% की दर से बढ़कर 12वें साल में 12% हो जाएगी।
- इस परियोजना की निर्माण संबंधी गतिविधियों के परिणामस्वरूप लगभग 4000 व्यक्तियों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा और इसके साथ ही यह परियोजना केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के समग्र सामाजिक-आर्थिक विकास में अहम योगदान देगी। इसके अलावा, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर 5289 करोड़ रुपये की मुफ्त बिजली पाने के साथ-साथ 40 वर्षों के परियोजना जीवन चक्र के दौरान रतले पनबिजली परियोजना से 9581 करोड़ रुपये के जल उपयोग शुल्क के माध्यम से लाभान्वित होगा।