मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस 19 फरवरी को मनाया जाएगा

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस 19 फरवरी, 2020 को मनाया जाएगा। प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने 19 फरवरी, 2015 को राजस्‍थान के सूरतगढ़ में मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड योजना लॉन्‍च की थी जिसे ध्‍यान में रखते हुए मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड दिवस मनाया जाता है। यह संयोग ही है कि अंतर्राष्‍ट्रीय मृदा वर्ष भी उसी साल मनाया गया था।

योजना के अंतर्गत वर्ष 2014-15 से अभी तक 429 नई स्‍थायी मृदा जांच प्रयोगशालाओं (एसटीएल), 102 नई मोबाइल एसटीएल, 8752 मिनी एसटीएल तथा 1562 ग्रामीण एसटीएल की स्‍वीकृति दी है। इन स्‍वीकृत प्रयोगशालाओं में से 129 नई स्‍थायी मृदा जांच प्रयोगशाला, 86 नई मोबाइल एसटीएल, 6498 मिनी एसटीएल तथा 179 ग्रामीण एसटीएल स्‍थापित की जा चुकी हैं।

मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड (एसएचसी) योजना

  • मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड (एसएचसी) योजना ( Soil Health Card (SHC) scheme) का उद्देश्‍य प्रत्‍येक दो वर्षों में किसानों को मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड जारी करना है, ताकि उर्वरक का छिड़काव करते समय मृदा में पोषक तत्‍वों की कमी दूर करने के लिए एक ठोस आधार मिल सके।
  • मृदा का परीक्षण इसलिए किया जाता है, ताकि पोषक तत्‍वों के प्रबंधन के आधार पर मृदा परीक्षण को बढ़ावा दिया जा सके। मृदा के परीक्षण से बिल्‍कुल सही मात्रा में उर्वरक का छिड़काव करना संभव हो पाता है जिससे खेती-बाड़ी की लागत घट जाती है। इससे पैदावार बढ़ जाती है जिससे किसानों को अतिरिक्‍त आय सुनिश्चित होती है। यही नहीं, इससे टिकाऊ खेती को बढ़ावा मिलता है।
  • देश में सभी किसानों को एसएचसी जारी करने में राज्‍य सरकारों की मदद के लिए यह योजना शुरू की गई है।
  • मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड किसानों को उनके खेत की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्‍वों की वर्तमान स्थिति से अवगत कराता है और इसके साथ ही मृदा का स्‍वास्‍थ्‍य एवं इसकी उर्वरता बढ़ाने के लिए आवश्‍यक पोषक तत्‍वों की समुचित मात्रा के बारे में आवश्‍यक जानकारियां देता है।
  • एसएचसी योजना 2015 के दौरान लॉन्‍च की गई। इसका उद्देश्‍य प्रत्‍येक दो वर्षों में देश में प्रत्‍येक खेत की मिट्टी की उर्वरा शक्ति का मूल्‍यांकन करना है। चक्र-I (2015-17) के दौरान 10.74 करोड़ मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड और चक्र-II (2017-19) के दौरान 11.74 करोड़ मृदा स्‍वास्‍थ्‍य कार्ड किसानों को वितरित किये। सरकार ने एसएचसी योजना पांच वर्ष पहले लॉन्‍च किये जाने के बाद से अब तक 700 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये है।

मृदा चुनौतियां

  • मृदा में मौजूद रसायनों के साथ-साथ इसके भौतिक एवं जैविक स्‍वास्‍थ्‍य के कमजोर पड़ जाने को भारत में कृषि उत्‍पादकता के थमने का एक प्रमुख कारण माना जाता है।
  • इस दिशा में अनगिनत चुनौतियां हैं : भारत की जिस मिट्टी में खेती-बाड़ी हो रही है उनमें प्रति वर्ष 12-14 मिलियन टन तक पोषक तत्‍वों की कमी पाई जा रही है और उर्वरक उद्योग की पूरी क्षमता का उपयोग करने के बाद भी भविष्‍य में यह ऋणात्‍मक संतुलन के और बढ़ जाने की आशंका है।
  • भारत में नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, सल्‍फर, जस्ता, बोरॉन, लोहा, मैंगनीज और तांबा संबंधी पोषक तत्‍वों की कमी क्रमश: 95, 94, 48, 25, 41, 20, 14, 8 तथा 6 प्रतिशत तक है। पोषक तत्‍वों की मात्रा को सीमित कर देने से अन्‍य पोषक तत्‍वों का पूण लाभ नहीं मिल पाता है, जिससे उर्वरकों का अपेक्षा से कम असर होता है और इस तरह से फसल की उत्‍पादकता कम हो जाती है।

पोषक तत्‍व उपयोग क्षमता

  • भारतीय कृषि में अधिक उर्वरक के इस्‍तेमाल की तुलना में उर्वरक/पोषक तत्‍वों की उपयोग क्षमता ( Nutrient use efficiency ) में सुधार करना महत्‍वपूर्ण है। पोषक तत्‍व उपयोग क्षमता नाइट्रोजन में 30-50 प्रतिशत, फासफोरस में 15-20 प्रतिशत, पोटाशियम में 60-70 प्रतिशत, सल्‍फर में 8-10 प्रतिशत तथा सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों में 1-2 प्रतिशत है।
  • फसलों की पैदावार बढ़ाने और उन्‍हें उच्‍च स्‍तर पर बनाये रखने के लिए मिट्टी की गुणवत्‍ता, पौध विकास, फसल उत्‍पादकता और कृषि निरंतरता पर प्रभाव डालने वाले अन्‍य पूरक उपायों के साथ मृदा स्‍वास्‍थ्‍य प्रबंधन के लिए एकीकृत दृष्टिकोण को समग्र रणनीति में शामिल किया जाना चाहिए।

पोषकतत्‍व आधारित सब्सिडी (एनबीएस) योजना

  • सरकार पोषकतत्‍व आधारित सब्सिडी ( Nutrient Based Subsidy (NBS) ) योजना लागू कर रही है तथा उर्वरकों के संतुलित उपयोग के लिए कस्‍टमाइज्‍ड शक्तिवर्धक उर्वरकों को प्रोत्‍साहित कर रही है।
  • सिफारिश की गई सब्सिडी दरें (रुपया/किलोग्राम में) वर्ष 2019-20 के दौरान एन, पी, के तथा एस के लिए क्रमश: 18.901, 15.216, 11.124 तथा 3.526 रुपये हैं। मिट्टी में सूक्ष्‍म पोषक तत्‍वों की कमी को पूरा करने तथा प्राथमिक पोषक तत्‍वों के साथ उनके उपयोग को प्रोत्‍साहित करने के लिए बोरॉन तथा जस्‍ता पर क्रमश: 300 रुपये और 500 रुपये प्रति टन की दर से अतिरिक्‍त सब्सिडी दी गई है।
  • अभी तक एनबीएस योजना के अंतर्गत 21 उर्वरक लाये गये है। वर्तमान में सरकार द्वारा अधिसूचित 35 कस्‍टमाइज्‍ड तथा 25 शक्तिवर्धक उर्वरकों का उपयोग किया जा रहा है।

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