मध्य हिमालयी क्षेत्र में एरोसोल स्रोतों से धूल का परिसंचरण

एक अध्ययन से यह पता चला है कि खनिज धूल, जैव पदार्थों (बायोमास) का जलना, द्वितीयक सल्फेट और द्वितीयक नाइट्रेट उत्तर पश्चिम भारत और पाकिस्तान से दिल्ली जैसे प्रदूषित शहर, थार रेगिस्तान और अरब सागर क्षेत्र, एवं और लंबी दूरी तक वायु संचरण में सक्षम समुद्री मिश्रित एरोसोल मध्य हिमालय में एरोसोल के मुख्य स्रोत हैं।

  • धूल का यह परिसंचरण और वनों की आग विशेष रूप से मानसून-पूर्व की उस अवधि (मार्च-मई ) में कुल निलंबित कणों (टीएसपी) के मुख्य स्रोत हैं, जब इस क्षेत्र में टीएसपी की सांद्रता अपने चरम पर होती है।
  • वायुमंडलीय प्रदूषण के स्रोत विभाजन पर यह अध्ययन, जो मध्य हिमालयी क्षेत्र में वायुमंडलीय रसायन विज्ञान, उत्सर्जन स्रोत उत्पत्ति और एयरोसोल के परिवहन/ परिवहन मार्गों को स्पष्ट करता है, अब योगदान और स्रोतों की अस्थायी परिवर्तनशीलता और जलवायु प्रभाव का आकलन करने में मदद करेगा जो क्षेत्रीय परिसंचरण के साथ-साथ इस क्षेत्र को प्रभावित करते हैं।
  • शोध से पता चला कि मुख्य एरोसोल स्रोत (कारक) नैनीताल में खनिज धूल (मिनरल डस्ट) 34% , जैव पदार्थ (बायोमास) का जलाना (27%), द्वितीयक (सेकेंडरी सल्फेट) (20%), द्वितीयक (सेकेंडरी नाइट्रेट) (9%), और लंबी दूरी तक जाने में सक्षम और समुद्री मिश्रित एरोसोल (10%) थे, जो अलग-अलग मौसमी पैटर्न प्रदर्शित करते थे। वसंत और गर्मियों में खनिज धूल और सर्दियों में बायोमास जलने और द्वितीयक सल्फेट की प्रबलता थी। परिवहन किए गए समुद्री मिश्रित एरोसोल स्रोत मुख्य रूप से गर्मी के मौसम के दौरान दक्षिणपश्चिमी मानसूनि पवनों के द्रव्यमान से जुड़े थे।

Written by 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *