भारत ने दक्षिणी श्वेत महाद्वीप में अपने दल के पहले बैच के आगमन के साथ अंटार्कटिका के लिए 41वें साइंटिफिक एक्सपीडिशन की सफलतापूर्वक शुरुआत की है।
- 23 वैज्ञानिकों और सहायक कर्मचारियों का पहला जत्था नवंबर 2021 के दूसरे सप्ताह में भारतीय अंटार्कटिक स्टेशन मैत्री पहुंचा।
- 41वें अभियान का नेतृत्व डॉ. शैलेंद्र सैनी, वैज्ञानिक राष्ट्रीय ध्रुवीय और महासागर अनुसंधान केंद्र (वॉयेज लीडर), श्री हुइड्रोम नागेश्वर सिंह, मेट्रोलॉजिस्ट, इंडिया मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट (लीडर, मैत्री स्टेशन) और श्री अनूप कलायिल सोमन, वैज्ञानिक भारतीय भू-चुंबकत्व संस्थान (नेता, भारती स्टेशन) द्वारा किया जा रहा है।
- इस 41वें एक्सपीडिशन के दो प्रमुख कार्यक्रम हैं। पहले कार्यक्रम में भारती स्टेशन पर अमेरी आइस शेल्फ का भूवैज्ञानिक अन्वेषण शामिल है। दूसरे कार्यक्रम में टोही सर्वेक्षण और मैत्री के पास 500 मीटर आइस कोर की ड्रिलिंग के लिए प्रारंभिक कार्य शामिल है। यह पिछले 10,000 वर्षों से एक ही जलवायु संग्रह से अंटार्कटिक जलवायु, पश्चिमी हवाओं, समुद्री-बर्फ और ग्रीनहाउस गैसों की समझ में सुधार करने में मदद करेगा.
- 1981 में शुरू हुए भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम ने 40 वैज्ञानिक एक्सपीडिशन पूरे कर लिए हैं, और अंटार्कटिका में तीन स्थायी अनुसंधान बेस स्टेशन बनाए हैं जिनका नाम दक्षिण गंगोत्री (1983), मैत्री (1988) और भारती (2012) है।
- वर्तमान में मैत्री और भारती पूरी तरह से चालू हैं। गोवा में स्थित नेशनल सेंटर फॉर पोलर एंड ओशन रिसर्च (एनसीपीओआर), पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संस्थान है जो पूरे भारतीय अंटार्कटिक कार्यक्रम का प्रबंधन करता है।
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