पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने 29 जुलाई को वैश्विक बाघ दिवस के अवसर पर ‘तेंदुओं, सह-परभक्षियों और शाकभक्षियों की स्थिति-2018’ (Status of Leopards, Co-predators and Megaherbivores-2018) शीर्षक रिपोर्ट भी जारी की।
तेंदुओं की आबादी
वर्ष 2018 में बाघों की संख्या के अखिल भारतीय आकलन के दौरान, देश के बाघों वाले राज्यों में वनाच्छादित प्राकृतिक वासों के भीतर तेंदुओं की आबादी का भी अनुमान लगाया गया था।
वर्ष 2018 में भारत के बाघों के विचरण वाले इलाकों में तेंदुओं की कुल आबादी 12,852 (एसई रेंज 12,172 – 13,535) थी। यह 2014 की तुलना में एक उल्लेखनीय वृद्धि है, जोकि देश के बाघों वाले 18 राज्यों के वनाच्छादित प्राकृतिक वासों में 7,910 (एसई 6,566-9,181) थी।
14 बाघ अभयारण्यों को ग्लोबल कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (CA|TS)
भारत के 14 बाघ अभयारण्यों को ग्लोबल कंजर्वेशन एश्योर्ड | टाइगर स्टैंडर्ड्स (Global Conservation Assured|Tiger Standards : CA|TS) की मान्यता मिली है। जिन 14 बाघ अभयारण्यों को मान्यता दी गई है उनमें असम के मानस, काजीरंगा और ओरंग, मध्य प्रदेश के सतपुड़ा, कान्हा और पन्ना, महाराष्ट्र के पेंच, बिहार में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व, उत्तर प्रदेश के दुधवा, पश्चिम बंगाल के सुंदरबन, केरल में परम्बिकुलम, कर्नाटक के बांदीपुर टाइगर रिजर्व और तमिलनाडु के मुदुमलई और अनामलई टाइगर रिजर्व शामिल हैं। उत्तर (सी)