समाचार में क्यों: भारत और ईरान के बीच चाबहर बंदरगाह से अफगानिस्तान की सीमा के पास ज़ाहेदान (Chabahar port to Zahedan) तक एक रेल लाइन के निर्माण के लिए हुए एक समझौते पर हस्ताक्षर के चार साल बाद ईरानी सरकार ने फंडिंग और परियोजना को शुरू करने में भारतीय देरी का हवाला देते हुए, अपने दम पर इस रेल लाईन के निर्माण के साथ आगे बढ़ने का फैसला किया है।
मूल तथ्य
ईरान के परिवहन और शहरी विकास मंत्री मोहम्मद असलमई ने जुलाई 2020 में 628 किलोमीटर लम्बी चाबहार-ज़ाहेदान लाइन के लिए ट्रैक बिछाने की प्रक्रिया का उद्घाटन किया।
इसे अफगानिस्तान में ज़ारगंज तक विस्तारित किया जाएगा। पूरी परियोजना मार्च 2022 तक पूरी हो जाएगी, और ईरानी रेलवे भारत की सहायता के बिना ईरानी राष्ट्रीय विकास निधि से लगभग $ 400 मिलियन का उपयोग करके आगे बढ़ेगी ।
चीन और ईरान के बीच 25 साल की भारी-भरकम 400 बिलियन डॉलर की रणनीतिक साझेदारी के पश्चात यह घटनाक्रम सामने आया है।
ईरानी रेलवे और भारतीय रेलवे कंस्ट्रक्शन लिमिटेड (इरकॉन) के बीच संचालित की जाने वाली यह रेलवे परियोजना, भारत, ईरान और अफगानिस्तान के बीच त्रिपक्षीय समझौते के लिए भारत की प्रतिबद्धता का हिस्सा थी।
अफगानिस्तान और मध्य एशिया के लिए एक वैकल्पिक व्यापार मार्ग का निर्माण करने के लिए मई 2016 में, भारत ने ईरान के साथ चाबहर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।
Source: The Hindu