भारत की पहली सौर ऊर्जा कन्वर्जेन्स प्रोजेक्ट

विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले सार्वजनिक उपक्रमों के एक संयुक्त उद्यम ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड (ईईएसएल) ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा विभाग (डीएनआरई) गोवा के साथ राज्य में भारत की पहली अभिसरण परियोजना (India’s first Convergence Project) शुरू करने पर चर्चा करने के लिए 17 नवंबर 2020 को एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं।

  • समझौता ज्ञापन के तहत, ईईएसएल तथा डीएनआरई व्यवहार्यता अध्ययन और उसके बाद विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं के कार्यान्वयन को अंजाम देंगे।
  • ईईएसएल सभी सौर ऊर्जा परियोजनाओं को कार्यान्वित करेगा, इसके तहत कृषि पंपिंग के लिए इस्तेमाल की जाने वाली सरकारी जमीनों पर 100 मेगावॉट वाली विकेंद्रीकृत सौर ऊर्जा परियोजनाओं की स्थापना की जाएगी, लगभग 6,300 कृषि पंपों के स्थान पर ऊर्जा दक्षता ब्यूरो-बीईई द्वारा स्टार रेटेड ऊर्जा कुशल पंपों को लगाया जायेगा और ग्रामीण घरेलू घरों के लिए लगभग 16 लाख एलईडी बल्ब भी वितरित किये जायेंगे।
  • परियोजना के अनुसार बिजली कंपनियों-डिस्कॉम में सुधार करने से स्वच्छ ऊर्जा की प्राप्ति होगी और आगामी 25 वर्षों की अवधि में राज्य को लगभग 2,574 करोड़ रुपये की बचत अर्जित होगी।
  • यह परियोजना किसानों को स्वच्छ ऊर्जा के साथ-साथ ऊर्जा कुशल पंप सेट भी उपलब्ध कराएगी, जो बिजली की खपत को कम करने के अलावा कृषि और ग्रामीण फीडर नेटवर्क को बिजली पहुंचाने से जुड़े पारेषण और वितरण घाटे में भी कमी लेकर आएगी।
  • ये परियोजनाएं विशेष रूप से राज्य में कृषि और ग्रामीण बिजली की खपत के लिए अक्षय ऊर्जा स्रोतों का उपयोग बढ़ाने में तेजी लाएंगी। ये परियोजनाएं ऊर्जा कुशल पंपिंग तथा उचित प्रकाश व्यवस्था के माध्यम से ऊर्जा की उच्च मांग को कम करने में भी अपना सक्रिय योगदान देंगी और इस प्रकार से ऊर्जा क्षेत्र में समग्र स्थिरता स्थापित होगी।
  • गोवा में, सस्ती दरों पर स्वच्छ ऊर्जा प्रदान करने के उद्देश्य से ईईएसएल अपने पहले कार्यक्रम में बड़े पैमाने पर सौर परियोजनाएं स्थापित करेगा, इसके लिए ग्राम पंचायतों और बिजली बोर्ड द्वारा प्रदान की गई खाली या फिर अप्रयुक्त भूमि का इस्तेमाल किया जाएगा।
  • सौर ऊर्जा संयंत्र को सब-स्टेशन के पास ही स्थापित किया जाएगा, जिसमें 500 किलोवॉट से लेकर 2 मेगावॉट तक की क्षमता होगी, हालांकि यह भूमि के आकार के आधार पर ही निर्धारित किया जायेगा। इससे वितरण कंपनियों को दिन के समय बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित करने तथा पारेषण के नुकसान को कम करने में सहायता प्राप्त होगी।

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