भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रालयों ने हवा से लॉन्च किए जाने वाले मानव रहित ड्रोन विकसित करने के लिए एक समझौता किया है। दोनों देश द्विपक्षीय रक्षा प्रौद्योगिकी और व्यापार पहल (Defence Technology and Trade Initiative : DTTI) के समग्र ढांचे के तहत 11 मिलियन डॉलर की प्रारंभिक लागत पर प्रोटोटाइप एएलयूएवी (Air-Launched Unmanned Aerial Vehicle (ALUAV) विकसित करने के लिए काम करेंगे।
- भारत और अमेरिका के रक्षा मंत्रालयों के बीच हुए अनुसंधान, विकास, परीक्षण और मूल्यांकन (आरडीटी-एंड-ई) समझौते के दायरे में एएलयूएवी को रखा गया है।
- इस समझौता ज्ञापन पर सबसे पहले जनवरी, 2006 में हस्ताक्षर किए गए थे। इसके बाद 2012 में लॉन्च की गई यह परियोजना परवान नहीं चढ़ सकी थी। इसलिए जनवरी, 2015 को फिर समझौते का नवीनीकरण किया गया था। अब फिर से किया गया यह समझौता दोनों देशों के बीच रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग को और गहन बनाने की एक महत्त्वपूर्ण पहल है।
- मूल रूप से एएलयूएवी को एक विमान पर बम की तरह ले जाया जाएगा और पारंपरिक यूएवी के बजाय हवा से लॉन्च किया जाएगा। भारत और अमेरिका एयर-लॉन्च किए गए छोटे एरियल सिस्टम या ड्रोन स्वार्म पर भी चर्चा कर रहे हैं।